लो बरखा बहार आई
>> Monday, July 11, 2011
अम्बुद से झर झर कर
अम्बु बूँद आती है
धरती की ज्वाला को
शीतल कर जाती है
चहुँ ओर धरा पर
तब हरीतिमा छायी
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई
अम्बु बूँद आती है
धरती की ज्वाला को
शीतल कर जाती है
चहुँ ओर धरा पर
तब हरीतिमा छायी
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई
पात पात सब
धुले धुले से हैं
कलरव करते पंछी
उन्मुक्त हुए से हैं
प्रकृति भी अब
भीग भीग मुस्काई
लो देखो देखो
बरखा बहार आई .
थे जो सूखे ताल-तलैया
अब जल से प्लावित हैं
बाल वृन्द भी देखो
अपनी नावों के नाविक हैं
कितनी ही कागज़ की नावें
पोखर में हैं तैराई
लो देखो देखो
बरखा बहार आई .
रिम झिम रिम झिम सी फुहार
बिरहन की आँखों ने बरसाई
तीव्र वेदना की लकीर
उसके चेहरे पर खिंच आई
प्रिय मिलन की आशा में
उसकी आँखें भी मुस्काईं
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई ..
76 comments:
बरखा का बेहद खूबसूरत वर्णन, पढ़ कर सच में सवान के महीने में भीगने का जो मजा है उसकी अनुभूती होने लगती है। बहुत सुंदर रचना :)
सावन की बूंदे ,भीषण गर्मी में तपती धरती को प्रेम से अभिसिंचित करती है तो दूसरी ओर विरहिणी के विरह को द्विगुणित .
प्रिय मिलन की आशा में उसकी आँखें भी पथराईं लो देखो देखो अब बरखा बहार आई ..
बहुत सुंदर वर्षा गीत ! लेकिन प्रियतम की प्रतीक्षा में आँखें पथराईं क्यों जहाँ आँसू हैं वहाँ मुस्कान आते देर नहीं लगती...
Barakh bahar se ek birhan chhod sabhee kush hote hain! Rachana dilpe phuhar-si barsa gayee!
अम्बुद से झर झर कर
अम्बु बूँद आती है
धरती की ज्वाला को
शीतल कर जाती है
चहुँ ओर धरा पर
तब हरितमा छायी
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई
आपकी रचना ने तो सच मे बरखा बहार ला दी…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
कितनी ही कागज़ की नावें पोखर में हैं तैराई ||
अच्छी प्रस्तुति
आभार ||
बर्षा ऋतू की मनमोहक प्रस्तुति..
chitra aur bahar ... bahut hi badhiyaa
बरखा की यह सचित्र प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी ...।
संगीता जी ,
रिम झिम फुहारों को दर्शाती मनभावन कविता लिखी है. आत्मा प्रसन्न हो गयी
वाह!! बरखा की पहली काव्य फुहार मन को भिगो दिया!! उमंगो की कोपलें फूटने लगी, यह वर्षा-गीत पढकर। आभार
बरखा को सजीव कर दिया है आपने शब्दों से ... बहुत लाजवाब लिखा है ...
रचना तो सुंदर है ही पहला चित्र भी उतना ही अच्छा है
रिम-झिम का संगीत ही छेड़ दिया है आपने तो बरसात में!
अच्छी रचना है!
इस बेहतरीन कविता और मनमोहक चित्र में हमें भी भिगो दिया.
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कल 12/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर गीत, शब्दों की फुहार सा।
थे जो सूखे ताल-तलैया
अब जल से प्लावित हैं
बाल वृन्द भी देखो
अपनी नावों के नाविक हैं
बेहद सुन्दर भाव, अंतस को भिगोते हुए बधाई
बहुत ही सुंदर रचना ....बरखा के माध्यम से विरह का सही आंकलन ....आभार
सभी पाठकों का आभार ...
@@ अनिता जी ,
आपका सुझाव सच में उत्तम है ..मैंने आँखों का भाव बदल दिया है ..आभार
बहुत बढ़िया रिमझिम बरसती फुहार भरी प्रस्तुति के लिए आभार!
हर पंक्तियों में बारिश की खुमारी छायी हुई है...बहुत सुंदर..एहसासों से मन भर गया।बेहतरीन लेखनी।
निसंदेह बरखा सी ही सराबोर करने वाली रचना . अत्यंत प्रभावी पोस्ट!
हमज़बान की नयी पोस्ट मेन इटर बन गया शिवभक्त फुर्सत हो तो पढें
बरखा कसुंदर चित्रण ...सुंदर चित्र और विरहिणी के मन की व्यथा भी ...
बहुत सुंदर रचना ...!!
बहुत खूब ! मनाभिव्यक्ति संजीदगी में कैद. प्रशंसनीय है, मन- तन भिगतें दोनों ...शुक्रिया जी /
kavita padkar hi shitalta ka ahsas hone laga
bhigi bhigi si kavita.savan si manbhavan kavita
aapki lekhni se nikli ek aur adbhut kavita
rachana
रिमझिम गीत में नहा कर आनंद आ गया दी....
सादर....
मन आँगन में वर्षा सी बरसी ये कविता.
बहुत ही सुन्दर दी!
बादल, बूंद और वर्षा का आपने सजीव चित्रण कर दिया है इस कविता के माध्यम से। तस्वीरों ने तो पोस्ट में चार इंद्रधनुष लगा दिए हैं।
बहुत अच्छी लगी कविता।
मुझे याद आ गया ये गाना आपकी सुंदर कविता पढ़कर : ओ सजना ! बरखा बाहर आई , रस की फुहार लाई , अँखियों में प्यार लाई ओ सजना !
बहुत खुबसूरत बारिश.... और खूबसूरती से अपने बरखा को शब्दों में उतारा है ....
.
स्वागत गीत लिखा है सुन्दर... गाता है हर मतवाला.
आकर्षित तो करता ही है कुछ ... नया-नया आने वाला.
लगातार झरी लगी रहे तो ... भर जाते नाली-नाला.
विरही डूब जाते भावों में ... और फिसल जाते लाला.
.
संगीता दी!
आज बस अपनी पसंद का एक पुराना गीत याद आ गया:
घिर आई कारी, घटा मतवारी
सावन की आई फुहार रे!
भीगा दिया आपके गीत की फुहार ने!!
बहुत सुन्दर बधाई...बहुत अच्छी याद दिलाई...हमारे यहाँ अभी भी नहीं आई...आपको पुनः बधाई
बरखा बहार आ गयी जी
सुन्दर चित्रण किया है आपने
आभार
बहुत सुंदर, पर इधर लखनऊ में तो आकर चली गयी है। अब पता नहीं कब तक आएगी।
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मनमोहक चित्रण ....बहुत सुंदर.....उम्दा अभिव्यक्ति...
रिमझिम ऋतु के सुंदर गोरे मुखारविंद पर विरह का तिल सौंदर्य-वर्द्धन कर उठा .
ख़ूबसूरत स्वागत किया है आपने वर्षा ऋतु का...
शुभकामनायें आपको !
रिम झिम रिम झिम सी फुहार
बिरहन की आँखों ने बरसाई
तीव्र वेदना की लकीर
उसके चेहरे पर खिंच आई
प्रिय मिलन की आशा में
उसकी आँखें भी मुस्काईं
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई ..
क्या बात है दी ..बहुत सुंदर ...रिमझिम बारिश की फुहारे
bahut sunder chitron ke saath barakha ka anupam warnan.majaa aa gayaa padhker.rachanaa main hi barakhaa main bheegane ka anand dilaa diyaa aapne.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks.
अपनी नावों के नाविक बाल वृंद................................
संगीता जी, आप ने बचपन में लौटा दिया| बारिश का मजा कुछ और ही होता था.......... बचपन में|
कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
प्रिय मिलन की आशा में
उसकी आँखें भी मुस्काईं ...सुन्दर!!
बारिश को सजीव कर दिया ,आपने..बधाई !!
khubsurat prastuti...:)
di ki rachna ka jabab nahi..
har ritu ko sabdo me vyakt kar dete ho!
आपने तो वर्षा के साक्षात् दर्शन करा दिये.बस अब सावन आ ही गया .यह बहुत सुन्दर-
बाल वृन्द भी देखो
अपनी नावों के नाविक हैं
कितनी ही कागज़ की नावें
पोखर में हैं तैराई .
पात पात सब धुले धुले से हैं कलरव करते पंछी उन्मुक्त हुए से हैं प्रकृति भी अब भीग भीग मुस्काई लो देखो देखो बरखा बहार आई
बहुत सुन्दर...भीगा-भीगा-सा...
गीत पढ़ कर बारिश में भीगने का आनंद आ गया.
खूबसूरत वर्णन, सुंदर वर्षा गीत
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई
han.......han......ekdam achchi tarah aa gayee.
प्रिय मिलन की आशा में
उसकी आँखें भी मुस्काईं
लो देखो देखो अब
बरखा बहार आई ....
बरखा बहार आई और मन को गहरे तक छू गई एक-एक पंक्ति...
अच्छी भाव-प्रवाह रचना.
फोटो में बरसता पानी मुझे बहुत अच्छा लगा और कविता तो सुन्दर है ही.
सुन्दर तस्वीरों से सुसज्जित बरखा का बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है आपने! लाजवाब रचना!
बारिश बरखा का बेहद खूबसूरत वर्णन
beautiful poem
and pics are very beautiful
बरखा को सजीव कर दिया है आपने ...बहुत सुंदर रचना...
'बरखा बहार आई....' बेहद रोचक कविता....
सावन के स्वागत में इतनी प्यारी कविता तथा इतनी सुन्दर तस्वीर आपने पोस्ट की है कि मन इस रिमझिम फुहार से पूरी तरह आप्लावित हो गया है ! हर शब्द, हर भाव, हर पंक्ति रससिक्त है ! बहुत बहुत बहुत सुन्दर संगीता जी ! धन्यवाद एवं आभार !
वाह ...बरखा रानी का वर्णन और आपकी रचना बेहतरीन ।
वाह ...फुहारों को अंतस तक पहुंचाती स्निग्ध अतिसुन्दर कविता....
आनंद आ गया पढ़कर...
आभार...
वर्षा का सुंदर चित्रण !
बहुत सुंदर लगी रचना !
भाई!
बरखा बहार आई
खून की धार लाई.
कसाई कसाब को 'बम-ब्लास्ट' का उपहार देकर
सबूतों की कर गई धुलाई....
भाई!
बरखा बहार आई.
मन में संदेह की बदली छाई.
सरकार ने अपनी कालिख छुपाने को
रेल हादसों के बाद ..
फिर से बम-ब्लास्ट की योजना बनाई.
माई!
माफ़ करना
मैंने काव्य-गंगा की
अमृत जलधारा में आग लगाई.
वर्षा ऋतु का बहुत मनमोहक चित्र उकेरा है..आभार
आज सचमुच बारिश बहुत तेज़ है और उसपर आपकी यह कविता बहुत ही बढ़िया लगा पढ़ कर।
बरखा पर सुन्दर गीत... भाव में सरोबार...
आदरणीया संगीता जी हार्दिक अभिवादन -आई बरखा बहार -मजा आ गया शीतल करते न जाने क्या क्या दृश्य दिखा हर्षा गयी लेकिन अंत में विरहिणी ने मन में खलबली मचा दी सुन्दर रचना
अच्छा लगे और हो सके तो हरीतिमा लिखें -
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर की माधुरी
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
Wah...
Jitani sundar kavita.. Utani hi sundar post par lagi huyi Tasveere..
Ati Sundar hai sab
सभी पाठकों का आभार ..
@@ सुरेन्द्र शुक्ल जी ,
अच्छा लगने की बात ही नहीं है ... गलत तो गलत ही है ..मैंने दयां नहीं दिया ..टंकण अशुद्धि की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया ...
सारी वादी धुल गई...
आदरणीय संगीता जी,
बरखा के साथ प्रकृति से लगाकर जीवन के समस्त सोपानों पर होने वाला असर बड़ी ही खूबसूरती से पिरोया है आपने कविता में।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बरखा रानी का प्राकृतिक रंगों से श्रृंगार करती हुई रचना.
मौसम के अनुरूप...बहुत सुन्दर रचना.
बाल वृन्द भी देखो
अपनी नावों के नाविक हैं
कितनी ही कागज़ की नावें
पोखर में हैं तैराई
लो देखो देखो
बरखा बहार आई
पावस ऋतु का मनभावन चित्रण।
गीत बहुत अच्छा लगा।
संगीता स्वरुप जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को अपने लिंक को देखने के लिए कलिक करें / View your blog link के "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
barkha ke mausam mein barkha ki baat..bahte pasine se man tuta tuta tha..megho ne ambar ke de di saugat..bada hi sajiv chitran kiya hai aapne..
सुन्दर,भावपूर्ण पावसगीत....
चित्रों का संयोजन और भी मनमोहक...
आपकी प्यारी सी रचना ने मन भीगा दिया...
बहुत ही सुन्दर, प्यारी, मनभावन रचना....:-)
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