किसे अर्पण करूँ ?
>> Monday, October 17, 2011
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूँ
और किसे वरण करूँ ?
आज जिस जगह हूँ
यादों का समंदर है
किस लहर को छोडूँ मैं
और किसको नमन करूँ ?
आसक्ति से प्रारम्भ हो
विरक्ति प्रारब्ध हो गयी
किस छल - बल से भला
मैं मोह का दमन करूँ ?
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
79 comments:
प्रश्न यही रह रह उठता है..
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
समर्पण का सुंदर भाव कविता में दर्शित हो रहा है. आभार सुंदर रचना के लिये.
नाते - रिश्ते सब मेरे दिल के बहुत करीब हैं किस किसको सहेजूँ और किसका तर्पण करूँ ?
भाव सुमन लिए हुए नैवेद्य दीप सजे हुए प्रेम की पुष्पांजलि को मैं किसे अर्पण करूँ ?
सभी को याद रखें और उन्हें अपनी राह चुनने दे , क्या इससे बेहतर कुछ हो सकता है!
आसक्ति से प्रारम्भ हो
विरक्ति प्रारब्ध हो गयी
किस छल - बल से भला
मैं मोह का दमन करूँ ?
बहुत ही खूबसूरत कविता है संगीता जी आज शब्द नहीं मिल रहे हैं मुझे इसकी प्रशंसा के लिये ! बहुत ही सुन्दर ! बधाई !
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?... हमेशा से उठता रहा है ये प्रश्न , जो दिल की सुनते हैं - वे ताउम्र यही गुनते हैं
आदरणीय संगीता जी
नमस्कार !
...प्रशंसनीय रचना।
.....शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने
आपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया
राग से वैराग्य तक का सफ़र है ज़िन्दगी - सचमुच !
किस छल - बल से भला
मैं मोह का दमन करूँ ?
बहुत खूब ||
बधाई ||
आ. संगीता दीदी, बहुत ही सुंदर काव्यात्मक प्रस्तुति है यह। बधाई स्वीकार करें। इस प्रस्तुति विशेष के संदर्भ में आप से कुछ मंतव्य करना है। मेरे पास आप का ई मेल पता नहीं है। क्या आप मुझे एक टेस्ट मेल भेजना पसंद करेंगी? मेरा ई मेल पता navincchaturvedi@gmail.com
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूँ
और किसे वरण करूँ ?
जीवन अंतर्द्वंद्वों का दूसरा नाम है।
भावमयी रचना।
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?खुबसूरत.अभिवयक्ति........
बहुत मुश्किल है इतना सब जान-समझ लेना !
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूँ
और किसे वरण करूँ ? behtreen....
सुदर भाव
पता नहीं यह पोस्ट कैसे मेरे चंगुल से छूट गयी? अब मैं यह कह देती हूं कि गूगल रीडर में अपने भी हैं और पराए भी, कुछ अच्छे भी और कुछ सस्ते भी तो किसको छोडूं और किसका वरण करूं?
जिन्दगी में कटु यादे ही आपका जीवनभर साथ देती हैं।
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
बहुत ही सुन्दर भावो को संजोया है…………एक मोड पर आकर यही प्रश्न उठता है………मोह के जाल मे फ़ंसा मानव और उसकी विकलता को खूब सहेजा है।
बहुत ही खूबसूरत से अहसास लिये यह बेहतरीन प्रस्तुति ।
आसक्ति से प्रारम्भ हो
विरक्ति प्रारब्ध हो गयी
किस छल - बल से भला
मैं मोह का दमन करूँ
UTTAM-BHAVPURN
ऊंची-नीची लहरों को खेते हुए,विशिष्ट स्थिति में ही मन प्रेममय बना रहता है। ऐसे प्रेम का होना ही बहुत है।
har pangti khoobsurat hai......
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
sab sahej leejiye sangeeta ji kisi bhi rishte ka tarpan kyon kiya jaae :)
बहुत सुंदर भावपूर्ण हृदय से निकले उदगार... कुछ छोड़ना नहीं बस एक उसको जोड़ना है...जिसका यह खेल है.. शुभकामनायें!
भाव फूल अनेक लिए
शब्द प्रवाह में सीए हुए,
माला है अद्भुत गूंथी हुई
और तुझे मैं क्या कहूँ ?
अंतर्द्वंद से निकली बेहद सुन्दर रचना!
इस कविता के भाव, लय और अर्थ काफ़ी पसंद आए। बिल्कुल नए अंदाज़ में आपने एक भावपूरित रचना लिखी है।
खूबसूरत से अहसास .......
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
सुंदर रचना ...
शुभकामनायें !
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ? ..समर्पण का सुंदर भाव ..बहुत ही खूबसूरत रचना..आभार संगीता जी..
जीवन के दोराहे पर ऐसे कई प्रश्न मिलते हैं जिनके उत्तर हमें मुश्किल से मिलते हैं॥
गीत बन यह द्वन्द आया....
वाह दी... बहुत सुन्दर गीत रचा....
सादर बधाई....
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
क्या बात है संगीता जी. मन की दुविधा को कितनी खूबसूरती से उकेरा है आपने.
Harek shabd,harek pankti kamaal kee hai!
पूरी की पूरी रचना अद्वितीय ....
शब्द-शिल्प , भाव और प्रस्तुति मनमोहक
भाव सुमन लिये हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजली को
मै किसे अर्पण करूँ ?
बहुत सुंदर भाव .....
ghri anubhuti.
sundar kavita
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
गहरे भाव लिए है यह प्रश्न .....
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
samarpan ki sunder kavita
rachana
आसक्ति से प्रारम्भ हो
विरक्ति प्रारब्ध हो गयी
किस छल - बल से भला
मैं मोह का दमन करूँ ?
वाह! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत प्रस्तुती!
कल 19/10/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
bhut hi achi abhivyakti.
बहुत सुन्दर गीत |आपका बहुत -बहुत आभार
बहुत सुन्दर गीत |आपका बहुत -बहुत आभार
कोमल चित्त में सब कुछ समा जाता है. वहाँ स्थान की कमी नहीं. बहुत सुंदर कविता.
हमेशा कि तरह ........प्रशंसनीय रचना !
बहुत अच्छी लगी ये कविता !
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूँ
और किसे वरण करूँ ?...
बहुत खूब ... ये काम आसान नहीं ... दोनों को ही गले लगाना पढता है समय अनुसार ... भावमयी रचना ...
देर से आया लेकिन मोती पाया .हमेशा की तरह अद्भुत .
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
आदरणीया संगीता जी प्यारी रचना मूल भाव अति कोमल ..सच में विभ्रम हो जाता है और बहुत ध्यान से चुनना होता है की किसे चुना जाए ..
लेकिन फूल तो फूल ही है ..शूल शायद ही जरुरत पड़ जाए
आभार
भ्रमर५
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूँ
और किसे वरण करूँ ?
आसक्ति से प्रारम्भ हो
विरक्ति प्रारब्ध हो गयी
किस छल - बल से भला
मैं मोह का दमन करूँ ?
bahut sunder aur man ke manthan ko saty ki dhara par pakhaarti bhav pravaah me bahti rachna.
संगीता दी,
एक दुविधा, किन्कर्तव्यविमूढ की स्थिति और उसी द्वंद्व में छिपा उत्तर!!
बहुत सुन्दर रचना!!
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ??
स्नेह के भाव लिये सुन्दर रचना ...सभी को साथ लिये बिन आसक्ति के ..आभार एवं शुभ कामनायें !!!
तमाम सवालात का हल ढूंढती प्रभावशाली कविता.
di
ab aapka swasthy kaisa hai .asha karti hun ki aap purntaya swasth hongi.
di,har baar main sochti rah jaati hun ki aapki post par kya comments dun.aapki lekhni ke aage mere shabd bahut hi tukchh prateet hote hain.par dil ki gahraiyon se aapki lekhni ko naman karti hun.
kya likhun bas nishabd hun-------
sadar naman
poonam
yahi kashmkash har insaan ko duvidha me dalti hai....
sundar aur sampurn kavya....
aap ne meri post par comment kar mujhe protsahit kiya hai apka shirday dhanyavaad...
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूँ
और किसे वरण करूँ ?
एक शाश्वत प्रश्न जिसके उत्तर की तलाश सभी को रहती है... लेकिन अनुत्तरित ही रहता है जादातर ... दार्शनिकता का भाव लिए हुये एक प्रभावशाली रचना
भावपूर्ण,अति सुन्दर रचना के लिये आभार
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूँ ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
भावों की अनुपम प्रस्तुति मन मोहती है.
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.
♥
आदरणीया दीदी संगीता जी
सादर प्रणाम !
बहुत सुंदर गीत लिखा है-
भाव सुमन लिए हुए
नैवेद्य दीप सजे हुए
प्रेम की पुष्पांजलि को
मैं किसे अर्पण करूं ?
ज़िंदगी की राह में
शूल भी हैं , फ़ूल भी
किस किस का त्याग करूं
और किसे वरण करूं ?
अनुत्तरित प्रश्नों की यह शृंखला मन की अकुलाहट बढ़ाने का कार्य ही कर रही है …
भावनाओं को शब्द देने के लिए आभार !
दीपावली की बधाई और शुभकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
सुनीता जी की नई पुरानी हलचल से एक बार फिर यहाँ पर.मेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.
'नाम जप' के बारे में आपके अमूल्य विचार व अनुभव जानकर अति अनुग्रहित हूँगा मैं,संगीता जी.
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति .
badi pyari kavita
दीये की लौ की भाँति
करें हर मुसीबत का सामना
खुश रहकर खुशी बिखेरें
यही है मेरी शुभकामना।
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
हर पंक्ति बहुत सुन्दर भाव समेटे है...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
नाते - रिश्ते सब मेरे
दिल के बहुत करीब हैं
किस किसको सहेजूँ
और किसका तर्पण करूँ ?
बहुत ही भावपूर्ण रचना.इन्हीं सवालों में जीवन उलझ जाता है.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
अर्चना में क्यूं निरत हूँ ?
अप्रतिम भाव !
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
बेटी बचाओ अभियान (गीत – 2)
आपको दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें....
Bahut achhi prastuti. aapko evm aapke pariwar ko diwali ki hardik subhkamna.
पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
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"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"
दीपों के पर्व की बधाई
बेहतरीन काव्य के लिए हार्दिक बधाई.कुछ दिनों से आपका ब्लॉग नहीं खुल पा रहा था आज पढने को मिला . पढ़कर वही सुखानुभूति हुयी. रौशनी के पर्व पर आपको एवं परिवार को हार्दिक शुभकामनाये -कुश्वंश
दीप हम ऐसे जलायें
दिल में हम एक अलख जगायें..
आतंकवाद जड़ से मिटायें
भ्रष्टाचार को दूर भगायें
जन जन की खुशियाँ लौटायें
हम एक नव हिन्दुस्तान बनायें
आओ, अब की ऐसी दीवाली मनायें
पर्व पर यही हैं मेरी मंगलकामनायें....
-समीर लाल 'समीर'
http://udantashtari.blogspot.com
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.....
मेरी और से भी बधाहिया स्वीकार कीजिये
बहुत अच्छा भावान्वेषण,उत्कृष्ट रचना
दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ आपको और आपके परिवार को
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