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ज़िद

>> Wednesday, November 2, 2011


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मन के बादल 
उमड़ घुमड़ कर 
क्यों  जल 
बरसा जाते हैं 
सीले सीले से 
सब सपने 
आँखों से 
झर जाते हैं 

उलट - पलट कर 
फिर मैं उनको 
धूप दिखाया 
करती हूँ 
गंध हटाने को 
मैं उनको 
हवा लगाया 
करती हूँ .

सूख धूप में 
फिर से वो 
मेरी आँखों में 
सज जाते हैं 
उमड़ घुमड़ कर 
बादल फिर से 
जल की गगरी 
भर लाते हैं .

बादल और मुझमे 
जंग हरदम 
रहती है बस 
छिड़ी हुयी 
खुद को जीत 
दिलाने को मैं 
हरपल  रहती 
अड़ी  हुयी 

देखें आखिर 
किसकी ज़िद 
अपना रंग 
दिखलाएगी 
कभी तो मेरी 
आँखों में 
धानी चुनरी 
लहराएगी .....

76 comments:

रश्मि प्रभा... 11/02/2011 7:43 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....zid hogi kisi ki, aapki to khwaahish hai aur jeet khwaahish kee hogi

प्रवीण पाण्डेय 11/02/2011 7:43 AM  

बस भीगने और सुखाने में जीवन निकल जाते हैं।

डॉ. मोनिका शर्मा 11/02/2011 7:58 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....

आशावादी सोच लिए ज़िद ..... सुंदर रचना

मनोज कुमार 11/02/2011 8:14 AM  

यह ज़िद ही आख़िर तक बनी रहनी चाहिए, जिससे भींगेपन पर क़ाबू पाया जा सके।

Dr.NISHA MAHARANA 11/02/2011 8:27 AM  

उलट - पलट कर
फिर मैं उनको
धूप दिखाया
करती हूँ
गंध हटाने को
मैं उनको
हवा लगाया
करती हूँ .bhut hi achchi pankti.

इस्मत ज़ैदी 11/02/2011 9:48 AM  

सूख धूप में फिर से वो मेरी
आँखों में सज जाते हैं
उमड़ घुमड़ कर बादल फिर से
जल की गगरी भर लाते हैं .

atyadhik sundar kavita !!
man ko chhoo liya kavita ke bhavon ne

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 11/02/2011 10:04 AM  

सीले-सीले सपने कभी न पीले होते
बारिश में धुलकर ये और रंगीले होते.
बादल के संग जंग रंग इक दिन लायेगी
विजय-ध्वजा सी धानी चुनरी लहरायेगी.

vandana gupta 11/02/2011 10:07 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ..... बस एक बार ठानने की ही तो देर है फिर तो जरूर लहरायेगी।

प्रतिभा सक्सेना 11/02/2011 10:18 AM  

ज़िद तो अपने को पूरा करवा के ही रहती है ,संगीता जी

आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ..... ,
- ज़रूर लहरायेगी !

Yashwant R. B. Mathur 11/02/2011 10:19 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....

ज़िद तो आखिर ज़िद ही होती है।
बहुत ही अच्छी कविता है।

सादर

वाणी गीत 11/02/2011 10:31 AM  

जीत सच्चे और शुभ विश्वास की ही हो ...
शुभकामनायें !

आशा बिष्ट 11/02/2011 10:32 AM  

kabhi to meri aankhon me dhani chunri lahrayegi....kavita ka samapan kafi sundarta se kiya hai...
KHUBSURAT RACHNA..

सदा 11/02/2011 10:33 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
बहुत खूब ।

Sadhana Vaid 11/02/2011 11:34 AM  

मीठा सा संकल्प लिये बहुत मधुर एवं कोमल रचना ! जीवन के हर मौसम में हम अपने मुरझाए, सीले सीले सपनों को अपनी आँखों में सुखाते सजाते ही तो रहते हैं ! वो कभी साकार हो पाते हैं या नहीं कौन जाने हाँ उम्र ज़रूर यही सब करते बीत जाती है ! बहुत ही सुन्दर रचना !

Suman 11/02/2011 12:18 PM  

सपनों को फिर से उलट पलट कर
धूप दिखाने की कल्पना सुंदर लगी !
बहुत सुंदर भाव भरी रचना !

रचना दीक्षित 11/02/2011 12:35 PM  

उमड़ घुमड़ कर बादल फिर से जल की गगरी भर लाते हैं .
बादलों कि फितरत ही ऐसी है वो भी मजबूर हैं और हम भी.... अच्छी लगी ये बादलों नमी और धुप कि गुनगुनाहट लिए प्रस्तुति

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " 11/02/2011 1:01 PM  

बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी

bhavpoorn prastuti ...

mridula pradhan 11/02/2011 1:23 PM  

aapne to bhawon ka ambar laga diya.....aur main swad leti rahi.....

Sonroopa Vishal 11/02/2011 1:37 PM  

बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी
वाह बहुत मासूम सा गीत !

shikha varshney 11/02/2011 2:31 PM  

ज़िद को तो कभी छोड़ना ही नहीं चाहिए.इसी के सहारे जीवन कटता है.
सुन्दर कविता

दिगम्बर नासवा 11/02/2011 3:19 PM  

यही जिद्द प्रेरणा है जीवन की ... जीवन को जीने की ... लाजवाब रचना ...

ashish 11/02/2011 4:03 PM  

आप होगी कामयाब एक दिन , हमको है विश्वास , सुँदर रचना .

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') 11/02/2011 4:16 PM  

बादल और मेरी जंग....
वाह दी... सुन्दर ख़याल... सुन्दर गीत....
बहुत बधाईयाँ...
सादर...

ऋता शेखर 'मधु' 11/02/2011 4:21 PM  

सूख धूप में फिर से वो मेरी
आँखों में सज जाते हैं
उमड़ घुमड़ कर बादल फिर से
जल की गगरी भर लाते हैं .

लाज़वाब पंक्तियाँ...

Unknown 11/02/2011 5:12 PM  

waahy........umda rachna !

Kunwar Kusumesh 11/02/2011 6:22 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....

जी,बिलकुल वैसा ही होगा जैसा आपने चाहा है.

Arvind otta 11/02/2011 6:43 PM  

bahut achha likha hai aapne...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 11/02/2011 7:12 PM  

किसकी जिद अपना रंग दिखायेगी
कभी तो मेरी आँखों में धानी चुनरी लहरायेगी...
आपकी जिद अच्छी लगी...सुन्दर पोस्ट..मेरी नई पोस्ट देखे...

Asha Joglekar 11/02/2011 8:44 PM  

कभी तो मेरी आंखों में धानी चुनरी लहरायेगी ।
जरूर लहरायेगी ।
यही है जीवन कभी गाडी नाव पर तो कभी नाव गाडी पर ।

Pallavi saxena 11/02/2011 10:06 PM  

manoj ji ki baat se poori traha sahamt hoon ...yh zid hee akhir tak bani rehani chaahiye jisse bhege pan par kaboo payaa jaa sakta hai ....

Unknown 11/02/2011 11:01 PM  

बेहतरीन काव्य पंक्तियाँ
"हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमा फिरभी कम निकले "

ख्वाहिशें जरूर पूरी होती हैं, सुन्दर काव्य आभार

अनामिका की सदायें ...... 11/02/2011 11:50 PM  

arey bhai dhani chunri lahrane ki chaah me hi to sapne janm lete hain.
aap apni jidd kayam rakhiye, badal to waise hi awara hai aaj yaha to kal kahin aur ud hi jayega fir dekhte hain kiski mazal jo us chunri ko na lehrane de.....jara bataiyega :)

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) 11/03/2011 10:09 AM  

आपकी लय बद्ध, प्रवाहमयी रचना मन को छू गई. कोशिशें कामयाब होती हैं.

अशोक सलूजा 11/03/2011 12:27 PM  

आप की ज़िद एक दिन जरूर रंग लाएगी !
शुभकामनायें !

Anita 11/03/2011 1:42 PM  

बहुत सुंदर गीत ! जीत तो इसी धूप छाँव में है...जिसका नाम जिंदगी है.

आनंद 11/03/2011 6:32 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....

सुनिश्चित है दीदी आपकी जीत क्योंकि आप जंग लड़ रहे हो....हर मान के बैठ जाते तब की बात और थी !

चंदन 11/03/2011 6:46 PM  

बहुत सुन्दर.. आशाओं और कोशिशों कि जंग.... बहुत सही!

***Punam*** 11/03/2011 7:49 PM  
This comment has been removed by the author.
***Punam*** 11/03/2011 7:49 PM  

"बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी"

लाजवाब रचना ...!!

संगीताजी....
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...!
"तेताला" तक मुझे पहुंचाने के लिए...!!
एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह आपका साथ मुझे समय-समय पर मिलता रहता है......!!

राजेश उत्‍साही 11/03/2011 8:04 PM  

जिद रंग लाती ही है।

विभा रानी श्रीवास्तव 11/03/2011 8:16 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी.... !
तब भी आपकी
आखें ख़ुशी से
बरसेगीं.... !!

Unknown 11/03/2011 9:00 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ....
बेहद ही सुन्दर जिद जीवन का शिल्प ...भाव पूर्ण श्रेष्ठ रचना...शुभ कामनायें !!!

Vaanbhatt 11/03/2011 9:07 PM  

आखों में बूंद लेकर रोशनी की ओर देखिये तो...सतरंगी किरणे भी दिखाई देतीं हैं...ख्वाब ही आंसू देते हैं...और खुशियाँ भी...

धीरेन्द्र सिंह 11/04/2011 3:02 PM  

कमाल की अभिव्यक्ति।

Bharat Bhushan 11/04/2011 4:48 PM  

प्रतीक्षारत ज़िद अकसर जीत जाती है. सुंदर रचना.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ 11/04/2011 5:36 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ !
आभार !

Anupama Tripathi 11/04/2011 10:25 PM  

•आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ......कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवाद

Anonymous,  11/04/2011 11:18 PM  

सीले सीले से सपने और उनको धूप दिखाना एकदम अनूठी कल्पना... और जहाँ तक ज़िद की बात है.. ज़िद का होना तो बहुत जरूरी है ज़िंदगी को गतिवान बनाये रखने के लिए... हमेशा की तरह एक बेहद सुन्दर रचना...

सादर

मंजु

Pushpendra Vir Sahil पुष्पेन्द्र वीर साहिल 11/05/2011 1:24 AM  

देखें आखिर किसकी ज़िद अपना रंग दिखलाएगी कभी तो मेरी आँखों में धानी चुनरी लहराएगी .....
बहुत सुन्दर ... मन को छू गयी ये पंक्तियाँ...

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' 11/05/2011 1:27 PM  

बादल और मुझमे
जंग हरदम रहती है
बस छिड़ी हुई
खुद को जीत दिलाने को मैं
हर पल रहती अड़ी हुई...

बहुत उम्दा रचना...
इसे ज़िद और इरादों का संगम कहा जा सकता है.

Onkar 11/05/2011 7:48 PM  

सुन्दर संगीतमय रचना

Surendra shukla" Bhramar"5 11/05/2011 8:36 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .
बहुत सुन्दर कोमल भाव .प्यारी रचना .जल्द ही आप की जीत हो और धानी चुनरी ....
भ्रमर ५

देवेन्द्र पाण्डेय 11/06/2011 8:14 AM  

जीवन संघर्ष से उपजी सच्ची अभिव्यक्ति। यही ज़िद हमारे जिवित रहने का प्रमाण है।

महेन्‍द्र वर्मा 11/06/2011 9:54 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी

जिद से ही जीत होती है।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

संतोष त्रिवेदी 11/06/2011 11:37 AM  

सुख की बदली कभी तो आएगी,जीत आप की ही होगी !

Amrita Tanmay 11/06/2011 7:51 PM  

जीत जिसकी भी हो आनंद तो जग में ही है. सुन्दर लिखा है.

अनुपमा पाठक 11/07/2011 2:36 AM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
वाह!

Urmi 11/07/2011 10:22 AM  

बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता! बहुत बहुत बधाई!

prerna argal 11/07/2011 11:02 AM  

bahut hi sunder bhav liye bemisaal rachanaa.bahut badhaai aapko.
मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका
ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /

Rajesh Kumari 11/07/2011 11:24 AM  

bahut pyaari kaavya panktiyan komal sa ehsaas liye aankhon me dhaani chunar jaroor lahraayegi.

अजित गुप्ता का कोना 11/07/2011 12:31 PM  

हम तो चाहते हैं कि आपकी आँखों में हमेशा धानी चुनरी ही लहराए। काव्‍य के बोल बहुत अच्‍छे और मधुर हैं, बधाई।

कविता रावत 11/07/2011 5:50 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ...

..बहुत सुन्दर...

Kailash Sharma 11/07/2011 8:31 PM  

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....

....जब बार बार कोशिश की जा रही है तो जीत क्यों नहीं होगी...सार्थक सोच लिये बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार

Vandana Ramasingh 11/08/2011 6:44 AM  

बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी

देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....

बहुत सुन्दर भाव

हरकीरत ' हीर' 11/08/2011 2:19 PM  

जी हमें भी इन्तजार है इस धानी चुनरी का ....:))

निर्झर'नीर 11/08/2011 4:39 PM  

वाह गीत क्या गीत है क्या तन्मयता है इतना सरल इतना मधुर जैसे कल कल बहता नदिया का नीर ..लयबद्धता में बहुत कशिश है ..नि:शब्द कार दिया

Minakshi Pant 11/08/2011 5:02 PM  

बहुत सुन्दर खूबसूरत भावों को दर्शाती सुन्दर रचना |

sheetal 11/08/2011 6:56 PM  

man ke aasman main,
aksar khwabo ke baadal
sajte hain.
jab na ho khwaab pure
to ashuvan se nain bharte
hain.
...lagti hain jab dhup ummedo
ki to asso fir man rupi aasman
main khwaabo ke baadal ban tirte
hain.
isi ko didi hum jeevan chakrh kehte hain.

'साहिल' 11/09/2011 11:10 AM  

बहुत ही खूबसूरत कविता है!
नागार्जुन जी की कविता 'बादल को घिरते देखा है' की याद दिला गयी!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 11/10/2011 12:43 AM  

संगीता दी,
इसी कश-म-कश का नाम ज़िंदगी है... बल मिलता है इनसे और तब जाकर वह परिणाम प्राप्त होता है जिसकी आपने आशा की है!!
बहुत सुन्दर कविता!!
पुनश्च: क्षमा, विलम्ब के लिए..कारण मेरा पटना चला जाना था!!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 11/10/2011 11:08 AM  

संगीता जी,..आपका मेरे नए पोस्ट-वजूद-में स्वागत है ...

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह 11/10/2011 3:01 PM  

bahut sunder bhavmaya ,pravahpoorn rachna ,wakai man mugdh ho gaya
bahut accha likh rahi hain aap

POOJA... 11/10/2011 3:41 PM  

aaah...
kabhi na kabhi to wo rut aayegi...
jab mor nachega aur hawa gungunagi...

Mamta Bajpai 11/11/2011 3:50 PM  

देखें आखिर
किसकी जिद
अपना रंग
दिखलाएगी
.........जिद जरूर रंग लाएगी
उम्मीद पर ही दुनियाँ कायम है ..अच्छी रचना

Timribt 11/13/2012 6:51 AM  

"बादल और मुझमे जंग हरदम रहती है बस छिड़ी हुयी खुद को जीत दिलाने को मैं हरपल रहती अड़ी हुयी देखें आखिर किसकी ज़िद अपना रंग दिखलाएगी" लाजवाब रचना ...!! संगीताजी.... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...! "तेताला" तक मुझे पहुंचाने के लिए...!! एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह आपका साथ मुझे समय-समय पर मिलता रहता है......!!

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