ज़िद
>> Wednesday, November 2, 2011
मन के बादल
उमड़ घुमड़ कर
क्यों जल
बरसा जाते हैं
सीले सीले से
सब सपने
आँखों से
झर जाते हैं
उलट - पलट कर
फिर मैं उनको
धूप दिखाया
करती हूँ
गंध हटाने को
मैं उनको
हवा लगाया
करती हूँ .
सूख धूप में
फिर से वो
मेरी आँखों में
सज जाते हैं
उमड़ घुमड़ कर
बादल फिर से
जल की गगरी
भर लाते हैं .
बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
76 comments:
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....zid hogi kisi ki, aapki to khwaahish hai aur jeet khwaahish kee hogi
बस भीगने और सुखाने में जीवन निकल जाते हैं।
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
आशावादी सोच लिए ज़िद ..... सुंदर रचना
यह ज़िद ही आख़िर तक बनी रहनी चाहिए, जिससे भींगेपन पर क़ाबू पाया जा सके।
उलट - पलट कर
फिर मैं उनको
धूप दिखाया
करती हूँ
गंध हटाने को
मैं उनको
हवा लगाया
करती हूँ .bhut hi achchi pankti.
सूख धूप में फिर से वो मेरी
आँखों में सज जाते हैं
उमड़ घुमड़ कर बादल फिर से
जल की गगरी भर लाते हैं .
atyadhik sundar kavita !!
man ko chhoo liya kavita ke bhavon ne
सीले-सीले सपने कभी न पीले होते
बारिश में धुलकर ये और रंगीले होते.
बादल के संग जंग रंग इक दिन लायेगी
विजय-ध्वजा सी धानी चुनरी लहरायेगी.
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ..... बस एक बार ठानने की ही तो देर है फिर तो जरूर लहरायेगी।
ज़िद तो अपने को पूरा करवा के ही रहती है ,संगीता जी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ..... ,
- ज़रूर लहरायेगी !
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
ज़िद तो आखिर ज़िद ही होती है।
बहुत ही अच्छी कविता है।
सादर
जीत सच्चे और शुभ विश्वास की ही हो ...
शुभकामनायें !
kabhi to meri aankhon me dhani chunri lahrayegi....kavita ka samapan kafi sundarta se kiya hai...
KHUBSURAT RACHNA..
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
बहुत खूब ।
मीठा सा संकल्प लिये बहुत मधुर एवं कोमल रचना ! जीवन के हर मौसम में हम अपने मुरझाए, सीले सीले सपनों को अपनी आँखों में सुखाते सजाते ही तो रहते हैं ! वो कभी साकार हो पाते हैं या नहीं कौन जाने हाँ उम्र ज़रूर यही सब करते बीत जाती है ! बहुत ही सुन्दर रचना !
सपनों को फिर से उलट पलट कर
धूप दिखाने की कल्पना सुंदर लगी !
बहुत सुंदर भाव भरी रचना !
उमड़ घुमड़ कर बादल फिर से जल की गगरी भर लाते हैं .
बादलों कि फितरत ही ऐसी है वो भी मजबूर हैं और हम भी.... अच्छी लगी ये बादलों नमी और धुप कि गुनगुनाहट लिए प्रस्तुति
बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी
bhavpoorn prastuti ...
aapne to bhawon ka ambar laga diya.....aur main swad leti rahi.....
बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी
वाह बहुत मासूम सा गीत !
ज़िद को तो कभी छोड़ना ही नहीं चाहिए.इसी के सहारे जीवन कटता है.
सुन्दर कविता
यही जिद्द प्रेरणा है जीवन की ... जीवन को जीने की ... लाजवाब रचना ...
आप होगी कामयाब एक दिन , हमको है विश्वास , सुँदर रचना .
बादल और मेरी जंग....
वाह दी... सुन्दर ख़याल... सुन्दर गीत....
बहुत बधाईयाँ...
सादर...
सूख धूप में फिर से वो मेरी
आँखों में सज जाते हैं
उमड़ घुमड़ कर बादल फिर से
जल की गगरी भर लाते हैं .
लाज़वाब पंक्तियाँ...
waahy........umda rachna !
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
जी,बिलकुल वैसा ही होगा जैसा आपने चाहा है.
bahut achha likha hai aapne...
किसकी जिद अपना रंग दिखायेगी
कभी तो मेरी आँखों में धानी चुनरी लहरायेगी...
आपकी जिद अच्छी लगी...सुन्दर पोस्ट..मेरी नई पोस्ट देखे...
कभी तो मेरी आंखों में धानी चुनरी लहरायेगी ।
जरूर लहरायेगी ।
यही है जीवन कभी गाडी नाव पर तो कभी नाव गाडी पर ।
manoj ji ki baat se poori traha sahamt hoon ...yh zid hee akhir tak bani rehani chaahiye jisse bhege pan par kaboo payaa jaa sakta hai ....
बेहतरीन काव्य पंक्तियाँ
"हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमा फिरभी कम निकले "
ख्वाहिशें जरूर पूरी होती हैं, सुन्दर काव्य आभार
arey bhai dhani chunri lahrane ki chaah me hi to sapne janm lete hain.
aap apni jidd kayam rakhiye, badal to waise hi awara hai aaj yaha to kal kahin aur ud hi jayega fir dekhte hain kiski mazal jo us chunri ko na lehrane de.....jara bataiyega :)
आपकी लय बद्ध, प्रवाहमयी रचना मन को छू गई. कोशिशें कामयाब होती हैं.
आप की ज़िद एक दिन जरूर रंग लाएगी !
शुभकामनायें !
बहुत सुंदर गीत ! जीत तो इसी धूप छाँव में है...जिसका नाम जिंदगी है.
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
सुनिश्चित है दीदी आपकी जीत क्योंकि आप जंग लड़ रहे हो....हर मान के बैठ जाते तब की बात और थी !
बहुत सुन्दर.. आशाओं और कोशिशों कि जंग.... बहुत सही!
"बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी"
लाजवाब रचना ...!!
संगीताजी....
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...!
"तेताला" तक मुझे पहुंचाने के लिए...!!
एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह आपका साथ मुझे समय-समय पर मिलता रहता है......!!
जिद रंग लाती ही है।
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी.... !
तब भी आपकी
आखें ख़ुशी से
बरसेगीं.... !!
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ....
बेहद ही सुन्दर जिद जीवन का शिल्प ...भाव पूर्ण श्रेष्ठ रचना...शुभ कामनायें !!!
आखों में बूंद लेकर रोशनी की ओर देखिये तो...सतरंगी किरणे भी दिखाई देतीं हैं...ख्वाब ही आंसू देते हैं...और खुशियाँ भी...
कमाल की अभिव्यक्ति।
प्रतीक्षारत ज़िद अकसर जीत जाती है. सुंदर रचना.
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ !
आभार !
•आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ......कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवाद
सीले सीले से सपने और उनको धूप दिखाना एकदम अनूठी कल्पना... और जहाँ तक ज़िद की बात है.. ज़िद का होना तो बहुत जरूरी है ज़िंदगी को गतिवान बनाये रखने के लिए... हमेशा की तरह एक बेहद सुन्दर रचना...
सादर
मंजु
देखें आखिर किसकी ज़िद अपना रंग दिखलाएगी कभी तो मेरी आँखों में धानी चुनरी लहराएगी .....
बहुत सुन्दर ... मन को छू गयी ये पंक्तियाँ...
बादल और मुझमे
जंग हरदम रहती है
बस छिड़ी हुई
खुद को जीत दिलाने को मैं
हर पल रहती अड़ी हुई...
बहुत उम्दा रचना...
इसे ज़िद और इरादों का संगम कहा जा सकता है.
सुन्दर संगीतमय रचना
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .
बहुत सुन्दर कोमल भाव .प्यारी रचना .जल्द ही आप की जीत हो और धानी चुनरी ....
भ्रमर ५
जीवन संघर्ष से उपजी सच्ची अभिव्यक्ति। यही ज़िद हमारे जिवित रहने का प्रमाण है।
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी
जिद से ही जीत होती है।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
सुख की बदली कभी तो आएगी,जीत आप की ही होगी !
जीत जिसकी भी हो आनंद तो जग में ही है. सुन्दर लिखा है.
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
वाह!
बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता! बहुत बहुत बधाई!
bahut hi sunder bhav liye bemisaal rachanaa.bahut badhaai aapko.
मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका
ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /
bahut pyaari kaavya panktiyan komal sa ehsaas liye aankhon me dhaani chunar jaroor lahraayegi.
बहुत सुंदर .
हम तो चाहते हैं कि आपकी आँखों में हमेशा धानी चुनरी ही लहराए। काव्य के बोल बहुत अच्छे और मधुर हैं, बधाई।
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी ...
..बहुत सुन्दर...
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
....जब बार बार कोशिश की जा रही है तो जीत क्यों नहीं होगी...सार्थक सोच लिये बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार
बादल और मुझमे
जंग हरदम
रहती है बस
छिड़ी हुयी
खुद को जीत
दिलाने को मैं
हरपल रहती
अड़ी हुयी
देखें आखिर
किसकी ज़िद
अपना रंग
दिखलाएगी
कभी तो मेरी
आँखों में
धानी चुनरी
लहराएगी .....
बहुत सुन्दर भाव
जी हमें भी इन्तजार है इस धानी चुनरी का ....:))
वाह गीत क्या गीत है क्या तन्मयता है इतना सरल इतना मधुर जैसे कल कल बहता नदिया का नीर ..लयबद्धता में बहुत कशिश है ..नि:शब्द कार दिया
बहुत सुन्दर खूबसूरत भावों को दर्शाती सुन्दर रचना |
man ke aasman main,
aksar khwabo ke baadal
sajte hain.
jab na ho khwaab pure
to ashuvan se nain bharte
hain.
...lagti hain jab dhup ummedo
ki to asso fir man rupi aasman
main khwaabo ke baadal ban tirte
hain.
isi ko didi hum jeevan chakrh kehte hain.
बहुत ही खूबसूरत कविता है!
नागार्जुन जी की कविता 'बादल को घिरते देखा है' की याद दिला गयी!
संगीता दी,
इसी कश-म-कश का नाम ज़िंदगी है... बल मिलता है इनसे और तब जाकर वह परिणाम प्राप्त होता है जिसकी आपने आशा की है!!
बहुत सुन्दर कविता!!
पुनश्च: क्षमा, विलम्ब के लिए..कारण मेरा पटना चला जाना था!!
संगीता जी,..आपका मेरे नए पोस्ट-वजूद-में स्वागत है ...
bahut sunder bhavmaya ,pravahpoorn rachna ,wakai man mugdh ho gaya
bahut accha likh rahi hain aap
aaah...
kabhi na kabhi to wo rut aayegi...
jab mor nachega aur hawa gungunagi...
देखें आखिर
किसकी जिद
अपना रंग
दिखलाएगी
.........जिद जरूर रंग लाएगी
उम्मीद पर ही दुनियाँ कायम है ..अच्छी रचना
"बादल और मुझमे जंग हरदम रहती है बस छिड़ी हुयी खुद को जीत दिलाने को मैं हरपल रहती अड़ी हुयी देखें आखिर किसकी ज़िद अपना रंग दिखलाएगी" लाजवाब रचना ...!! संगीताजी.... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...! "तेताला" तक मुझे पहुंचाने के लिए...!! एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह आपका साथ मुझे समय-समय पर मिलता रहता है......!!
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