कमी नहीं होती ...
>> Monday, November 21, 2011
कोई भी मंजिल
अंतिम नहीं होती
ज़िंदगी में लक्ष्यों की
कोई कमी नहीं होती .
मंजिल पाने के लिए
निरतता* होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए
पगडंडियों की कमी नहीं होती .
पगडंडियों के लिए भी
तितिक्षा* होनी चाहिए
यवस पर चलते हुए
पगों की कमी नहीं होती .
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा* की कमी नहीं होती ..
निरतता -- आसक्ति
तितिक्षा*---धैर्य , सहनशीलता
यवस -- घास , दूब
जिगीषा* --- जीतने की इच्छा
तूणीर -- तरकश
त्विषा --- किरण , आभा , ज्योति
96 comments:
♥
आदरणीया संगीता स्वरुप जी
सादर प्रणाम !
प्रभावशाली रचना के लिए बधाई !
मंजिल पाने के लिए निरतता होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए पगडंडियों की कमी नहीं होती
प्रेरक रचना … सुंदर !
नए शब्द भी सीखने को मिले … जिगीषा और त्विसा ! :) आभार !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
लक्ष्य सदा ही बना रहता है, एक के बाद एक मिलता रहता है।
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
उत्साहित बढाती रचना बहुत सुन्दर |
मंजिल पाने के लिए
निरतता* होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए
पगडंडियों की कमी नहीं होती .
जीवनोपयोगी...बहुत सुन्दर कृति!...बधाई संगीताजी!
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा* की कमी नहीं होती ..
बहुत ही बढि़या ..।
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
बहुत अच्छी बात कही आंटी आपने।
सादर
बहुत सुन्दर सन्देश और हौसला बढ़ाती हुवी... मंजिले मिलती रहेंगी राह बनाने के लिए निरतर और मन से कर्म करें तो मंजिल मिलेगी.. कठिन शब्दों को आपने नीचे लिख कर कविता को सरलता भी दी ... आभार
नए शब्दों से परिचय हुआ .......मिलकर अच्छा
लगा !
सुंदर रचना रची है आपने...
प्रेरक रचना .....
prerak rachna ...
जीवन का सन्देश है, मह मह करता फूल |
सुन्दर शिक्षा दे रही, रचना ज्यों स्कूल ||
प्रेरक भाव भरे हुये, नए मिले हैं शब्द |
अर्थ जानने तक रहा, मैं बैठा निःशब्द ||
संगीता दी क्या कहूँ, निरझर बहती धार |
सुन्दर रचना के लिये, दिल माने आभार ||
सादर...
कोई भी मंजिल
अंतिम नहीं होती
ज़िंदगी में लक्ष्यों की
कोई कमी नहीं होती ... wakai
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
nihsandeh
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा* की कमी नहीं होती ..sangeeta ji , aapka jawab nahi
कमाल है!
चुन-चुन कर शब्दों का आपने प्रयोग किया और क्या सुंदर संदेश देती रचना है यह!!
लाजवाब!!!
कोई भी मंजिल
अंतिम नहीं होती
ज़िंदगी में लक्ष्यों की
कोई कमी नहीं होती .
वाह क्या बात है बहुत सुंदर रचना. पढ़ कर एक नहीं उर्जा सी आ गई मन में !
चरैवेति,चरैवेति- प्रेरक संदेश !
संगीता जी ,
आपने जिन नये शब्दों का समावेश किया साथ में उनका अर्थ दे कर और भी अच्छा किया.
कितना अच्छा हो धीरे-धीरे कुछ नये शब्द प्रयोग में आते चलें और साहित्यिक भाषा का भंडार और सामर्थ्य बढ़ती रहे!
चरैवेति,चरैवेति- प्रेरक संदेश !
संगीता जी ,
आपने जिन नये शब्दों का समावेश किया साथ में उनका अर्थ दे कर और भी अच्छा किया.
कितना अच्छा हो धीरे-धीरे कुछ नये शब्द प्रयोग में आते चलें और साहित्यिक भाषा का भंडार और सामर्थ्य बढ़ती रहे!
प्रभावशाली प्रेरक रचना कुछ नया सीखने को मिला..
मेरे नए पोस्ट पर आइये स्वागत है..
संगीता दी,
भाव हर बार की तरह अनोखे हैं और अभिव्यक्ति नूतनता लिए.. लेकिन कठिन शब्दों का प्रयोग, जो आप सामान्यतः नहीं करतीं... चलिए जाने दीजिए!!
प्रेरक,प्रभावशाली और सुंदर रचना|
मंजिल पाने के लिए निरतता होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए पगडंडियों की कमी नहीं होती
यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए.........
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है! आपके ब्लॉग पर अधिक से अधिक पाठक पहुँचेंगे तो
चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
Sangita di,
pranam!
Shabdon sang hain bhav bhi sundar..
Prerak kavita laayin aap..
Jeevan path pathik badhe jo..
Door hue man ke santaap..
Prerak kavitt..
Deepak Shukla..
मंजिल पाने के लिए
निरतता* होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए
पगडंडियों की कमी नहीं होती .
कितनी प्रोत्साहन देती पंक्तियाँ है...... बहुत बढिया रचना
बहुत खूब.
नए शब्दों से परिचय हुआ.
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा* की कमी नहीं होती ..
बहुत सुन्दर.
खूबसूरत विचार...खूबसूरत शब्द संयोजन...
बेहद प्रभावशाली रचना!
di ! aapke blog par comment post nahi ho raha pataa nahi kyon...error aa raha hai koi.aap post kar dena.
अरे वाह आज तो यहाँ क्लास हो गई मेरी. एक सकारात्मक विचार और प्रेरणादायी कविता और कुछ नए और सुन्दर शब्द...वाह दी! मजा आ गया.
आभार बहुत बहुत.
shikha.
अत्यंत सार्थक, प्रेरक एवं उद्देश्यपूर्ण रचना ! हर शब्द सशक्त एवं हर पंक्ति प्रोत्साहित करती ! आप निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैं इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिये ! बधाई स्वीकार करें !
prerna deti sunder rachna jise naye shabdon ki sajawat ne nayi tvisha pradan ki hai.
behtreen aur prabhaavshali rachna....
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा होनी चाहिए
फिर तुणीर में
तीरों की कमी नहीं होती .
प्रभावशाली और काव्य सौंदर्य लिए बेहतरीन रचना. आदरणीय संगीता जी आपने काव्य को बखूबी जिया है बधाई और आभार.
संगीता जी आपके लेखन की तारीफ के लिए शब्द ही नहीं मिलते |बहुत भाव पूर्ण रचना |
बधाई |
आशा
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा की कमी नहीं होती...
यह हौसला ही तो सबकुछ है ...
प्रेरक कविता !
पगडंडियों के लिए भी
तितिक्षा* होनी चाहिए
यवस पर चलते हुए
पगों की कमी नहीं होती.
नवीन उत्साह का संचार करती हुई रचना.प्रत्येक पंक्ति
एक नया संदेश लिए."पगडंडी" का गहरा अर्थ वही समझा सकता है जिसने वर्षों धैर्य रख इसे बनाया है .बहुत खूब.
jis tarah gulab ki daal par nai kism ke liye shakh lagaai jati hai, aapne nai shabdawali piroi hai apni rachna par, ye naye prabhav paida karegi.
ऐसे ही आशावादी और सकारात्मक संदेश देती रहें। शब्दों का अच्छा प्रयोग किया है।
पहले से कहीं अधिक प्रभावी लगीं आप ! आभार
वाह नये नये शब्द अर्थ सहित …………और उनका उतना ही सुन्दर प्रयोग्…………बहुत ही सुन्दर रचना …………नया सीखने को मिला।
बहुत ही प्रभावी रचना ... सच है की जीवन में निरतता होनी चाहिए ... नए शब्दों के प्रयोग से सुन्दर काव्य शिल्प गढा है आपने ...
कोई भी मंजिल
अंतिम नहीं होती
जिंदगी मेम लक्ष्योम की कमी नही होती—
सकारात्मक नज़रिया ही जीने की कला को परिष्कृति करता है.सही कहा.
nae shabd seekhne mile.....sath hi nai bhawnao aur prernaon se bhi milna ho gaya...
बहुत सुंदर प्रभावशाली रचना ... नए शब्दों से परिचय कराने हेतु भी शुक्रिया..
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
bahut bada sach likh din......wah.....
very optimistic :)
सकारात्मक भावों को बहुत अच्छे से व्यक्त किया है आपने ।
सार्थक रचना ।
प्रस्तुत कहानी पर अपनी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ ।
भावना
सुंदर । आपने नए शब्दों का प्रयोग किया।
इच्छाएँ समय के शून्य को भरने का साधन हैं. लक्ष्य जीवन को चलाए रखता है. बहुत सुंदर संदेश देती कविता.
prabhaavi aur sarthak rachna....
नमस्ते दीदी,आपकी कवितायेँ कही जीवन की महिमा का गान करती हैं तो कहीं कंटक पथ पर निःशंक आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं.
prerna se bharpoor...
bahut sundar....
आपकी सुन्दर ज्ञान भरी बातों से निहाल हो गया हूँ
संगीता जी.
हार्दिक आभार.
सुन्दर एवं प्रेरक....जीवन निरंतरता का ही नाम है
कर्मयोगियों को भी,मंज़िल मिले न मिले,प्रकृति के प्रति अहोभाव ज़रूर रखना चाहिए।
fir raste banne ke liy pagdandiyo ki kaqmi nahi hoti............prernadayak
मंजिल पाने के लिए
निरतता* होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए
पगडंडियों की कमी नहीं होती .
KAVITA NAHI POORA JEEVAN DARSHAN HAI...
उत्साहवर्धक कविता के लिए आभार.....शब्दों के अर्थ के साथ कविता की सुन्दरता बढ गई ....
नए शब्दों का प्रयोग अच्छा लगा !
प्रेरणात्मक रचना ....
सुंदर शब्दावली , प्रेरणादायक कविता !
सचमुच "उसने" तो कहीं कोई कमी छोडी नहीं है ! कमियां "हम" में ही हैं ! मार्ग दर्शन के लिए धन्यवाद ! "भोला-कृष्णा"
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
लाज़वाब...बहूत ही उत्कृष्ट और प्रेरक अभिव्यक्ति..आभार
आपकी हलचल से यहाँ एक बार फिर से
चला आया हूँ.
आपके अनमोल भावों को पढकर दिल में बहुत हर्षाया हूँ.
सुंदर रचना और सुंदर शब्द चयन । कापी कुछ सीखने को मिलता है यहां ।
संगीता जी
प्रभाव शाली रचना केलिए बधाई...
सुंदर प्रेरक रचना के साथ कुछ
नया सीखने को मिला..
मेरे नए पोस्ट आइये स्वागत है ...
कल 26/11/2011को आपकी किसी पोस्टकी हलचल नयी पुरानी हलचल पर हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सुन्दर सी प्रेरक रचना..बधाई !!
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा* की कमी नहीं होती
इसी हौसले के साथ आशाएं जन्म लेती हैं...
जीने का मकसद भी मिलता है....!!
फिर तो सारा जहाँ हमारा...!!
बेहद सुन्दर
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती .
उपयोगी सन्देश देती रचना !
सच कह रही थी जिन्दगी
मैं इंकार न कर सकी
सच्चाई से उसकी ... ।वाह क्या बात है
सार्थक सन्देश देती रचना
Behad Prerak rachana Sangeeta ji..
आदरणीय संगीता जी सादर प्रणाम...
अत्यंत ही ओजस्वी एवं प्रेरणा दाई आह्वान ..अभिनव शब्दों का सुन्दर संयोजन ...
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा* होनी चाहिए
फिर तुणीर* में
तीरों की कमी नहीं होती ...
सादर अभिनन्दन एवं शुभ कामनायें !!
हमेशा की तरह बेहद ख़ूबसूरत और प्रेरक रचना! बहुत बहुत बधाई!
लगा कि ये कविता पढ़ चुका हूँ मगर मेरी टिप्पणी नहीं है यहाँ -बढियां प्रस्तुति बस शब्दों के चयन को लेकर कुछ भ्रम है -
अब आपकी कविताओं के लिए हिन्दी की कोई मानक डिक्शनरी मंगानी होंगी ! या ये शब्द आप खुद गढ़ लेती हैं ?वैसे कवि को यह छूट है !
प्रेरक रचना....
सुन्दर कविता |ब्लॉग पर आने हेतु आभार |
मंजिल पाने के लिए निरतता होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए पगडंडियों की कमी नहीं होती
बेहतरीन रचना देने के लिए आभार
लक्ष्य को भेदने के लिए
जिगीषा होनी चाहिए
फिर तुणीर में
तीरों की कमी नहीं होती ।
आशा और उत्साह जगाती अनुपम कविता।
क्या कहने, बहुत सुंदर
आपको पढना वाकई सुखद अनुभव है।
कोई भी मंजिल
अंतिम नहीं होती
ज़िंदगी में लक्ष्यों की
कोई कमी नहीं होती .
प्रेरक रचना.
बहुत सुन्दर एवं प्रेरक रचना... ज़िंदगी में लक्ष्यों की कोई कमी नहीं होती . मंजिल पाने के लिए निरतता* होनी चाहिए फिर रास्ते बनने के लिए पगडंडियों की कमी नहीं होती ..
सादर
मंजु
कहाँ से लाये है आप इन शब्दों को पहली बार सुने है अधिकतर ,गजब
अद्भुत ,
अनूठा ,
अनुपम काव्य .... !
अभिवादन .
नए नए शब्द मिले आपकी इस खूबसूरत और प्रेरक कविता में ...
ये रचना जीवन में प्रेरणा देती है। वाकई सुंदर प्रस्तुति।
आशा और उत्साह जगाती एक अनुपम कृति.. ..देर से आने के लिए माफी....
आदरणीया संगीता जी बहुत सुन्दर ..जितना सुन्दर मूल भाव ..उतने सुन्दर शब्दों का चयन और गठन ..सीखने को मिला ..
हौसला अफजाई करती रचना
भ्रमर ५
इस हौसले को लेकर
जो जिए ज़िंदगी
उसके जीवन में
त्विषा* की कमी नहीं होती ..
अच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
मानव की शक्ति के सामने सब शक्ति विफल होती है सिवाए अल्लाह की शक्ति परन्तु अल्लाह भी मानव के प्रयास और मेहनत को स्वीकारित करता है और मेहनत करने वाला अपने लक्ष्य को पा लेता है, बहुद सुन्दर लेख, उत्तम शब्दों के शेली में, आभार
bahut hi achcha hai.......
मंजिल पाने के लिए
निरतता* होनी चाहिए
फिर रास्ते बनने के लिए
पगडंडियों की कमी नहीं होती .very nice where are you ?
बेहतरीन , सुन्दर एवं प्रेरणादायक रचना है ..
बहुत ही inspire करती हुई रचना, और कई नए शब्द भी मिले सीखने को.
सादर
आज 05/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कोई भी मंजिल,अंतिम नहीम होती,जिंदगी में लक्षो की कमी नहीं होती—जिंदगी का संदेश लिये हुए है आपकी रचना.
बहुत ही उत्साहपूर्ण कविता, कोई भी मंजिल अंतिम नही होती। आपको कोटी-कोटी धन्यवाद ऐसी प्यारी रचनाओं के लिये
inspire
Post a Comment