अपनी अपनी रामायण -अपने अपने राम
>> Sunday, February 28, 2021
हर बात के
न जाने मतलब कितने
हर शख़्स की
न जाने कितनी कहानियाँ ,
हर कहानी का
एक अलग किरदार
हर किरदार को
निबाहते हुए
करता है इंसान
अलग अलग
व्यवहार ,
हर कहानी में
उलझते पात्र
ऐसे ही सोच के भी
उलझते धागे ,
सीधा करने को
जितना तत्पर
ये उतना ही
टूट जाते ।
किस पर करोगे
तुम विश्वास
किससे लगाओगे
थोड़ी सी आस ,
कौन तुम्हारा
अपना है
जो देगा तुमको
थोड़ा सा मान ,
सबकी अपनी अपनी
रामायण
और अपने अपने
राम ।
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33 comments:
कम में पूरा दर्शन बयां कर दिया , किसी को भी किसी भी आधार पर जज नहीं कर सकते हम ,कोई भी धारणा बनाने से पहले यह ख़याल रहना चाहिए कि उसकी रामायण हमारी रामायण से अलग हो सकती है और उसी कथानक के हिसाब से राम का चरित्र ढलता है .....👌👌👌👌👌👌 राम ही अगले युग में कृष्ण हो जाते हैं
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 28 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर
अपनी
रामायण
और अपने अपने
राम ।
सरल सहज विन्यास मे बुनी सच्ची कविता, साधु !
यही तो जीवन है दी, यही समाज। सबका अपना नजरिया और अपने सही गलत। हर युग का राम अलग तो उसकी रामायण भी अलग।
यही जीवन सत्य है
बहुत अच्छी कविता। अलग सी कविता। राम को देखने का अलग नजरिया।
वाह!बेहतरीन !
रामायण व जीवन का सेतु बंधन बहुत ही सुंदरता से उभर आया है मुग्ध करती रचना में, साधुवाद आदरणीया।
वाह! बहुत ही सुंदर।
सबकी अपनी रामायण अपने राम!
अच्छा लिखा!
सारगर्भित संदेश से भरी यथार्थ पूर्ण कविता..
वाह संगीता जी क्या बात है,हमेशा की तरह एक और नायाब रचना
मंजु मिश्रा
सुन्दर प्रस्तुति.
कौन तुम्हारा अपना है जो देगा तुमको थोड़ा सा मान । सांसारिक जीवन का सनातन सत्य कह दिया आपने । हृदयतल से अभिनंदन आपका इस उत्कृष्ट सृजन के लिए ।
सुन्दर,सहज और गहन भावाभिव्यक्ति। अति सुन्दर सृजन ।
बहुत बहुत सुन्दर
वाह ! गागर में सागर भर दिया है आपने
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
बहुत सुंदर भाव, सुन्दर सहज सुकोमल और एक प्यारी रचना संगीता जी बधाई
रामायण पर सुंदर कविता...
नमन आपको आदरणीया 🙏
बहुत सुंदर।
क्या बात है बहुत ही उम्दा ...गहरे भाव लिए
सबकी अपनी अपनी
रामायण
और अपने अपने
राम ।
सच को बयां करती सटीक, सुंदर रचना....
बहुत सुंदर।
बिल्कुल सत्य वचन,सोच के आधार पर ही विचार जन्म लेते है , तभी सबके अपने अपने राम अपनी अपनी रामायण है। अति उत्तम रचना संगीता जी । सादर नमन ।आपकी इच्छा को पूरा करने की कोशिश करते हुए हिंदी भाषा पर लिखी हुई नेपाली जी की एक कविता पोस्ट की हूँ , सफल हो पाई क्या पढ़कर बताये आप , शुक्रिया
बहुत ही अच्छी कविता ।राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है राष्ट्रकवि गुप्त जी ने सच लिखा।राम पर अनवरत लेखन हो तब भी कम है।आपको सादर प्रणाम
सुन्दर सृजन।
सबकी अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग
यहाँ सबका अपना किरदार अपना-अपना भाग
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
दुस्सरे शब्दों में भी दीदी कि जैसी दृष्टि वैसा दृष्टिकोण !! सार्थक रचना |सादर
बहुत बहुत सुन्दर
अति सुन्दर, अपने अपने राम।
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