रिसता मन
>> Thursday, May 31, 2012
उपालम्भों से
आती है
हर रिश्ते में
खटास
शिकवे
नहीं रख पाते
मन में
मिठास
टूट जाए
जब
एक बार
विश्वास
कैसे करे
कोई फिर
प्रेम की
आस ?
होता है
हर बात से
मन पर
वज्राघात
तो वाणी भी
हो जाती है
कर्कश
और हर
बात से
होता है जैसे
कुठाराघात .
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .
73 comments:
क्या खूब कही है संगीता जी !
बहुत सुंदर बात कही है अपने, यही तो आधार है जीवन में रिश्तों का और उनमें रहने वाली गहराई का.
सोलह आने सच्च है ....एक बार खटास आ जाये रिश्तों में उन्हें फिर से मीठा बनाना नामुमकिन सा हो जाता है.
रहीम का एक दोहा याद आ रहा है
रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाए....
सच कहा है जहाँ विश्वास नहीं होता सच्चा प्रेम नहीं होता ... प्रेम का आधार विश्वास है ...
बेहतरीन।
विश्वास पर ही तो प्रेम की नींव टिकी होती है…………बहुत सुन्दर रचना
टूट जाए ,जब एक बार विश्वास
कैसे करे ,कोई फिर प्रेम की आस ?
उत्तम अभिव्यक्ति .... !!
बहुत खूब ..सहजता से गहरी बात समझाई है ..
विश्वास प्रेम का आधार है, जहाँ विश्वास नहीं वहां प्रेम कहाँ...
गहन भाव...
प्रेम तो विश्वास की नीव पर ही मजबूत होता है . सुन्दर रचना .
100 प्रतिशत सटीक...
काफी गहराई से सोचा आपने
धन्यवाद जीजी
इतनी भावुक रचना पढ़वाई आपने
सादर
यशोदा
बातों को छुपाना मजबूरी है झूठ नहीं
विश्वास ना हो तो प्रश्न भी बेहतर नहीं ...........
बहुत सुंदर दी.................
सच में प्रेम में विश्वास की कमी कभी कभी मजबूर करती है कुछ बातें छिपा जाने को....
मगर ये और भी कष्टकर है....
सुंदर रचना और सुंदर शीर्षक :-)
सादर.
एक दूसरे के सदा, यह दोनों पर्याय।
खोया जो विश्वास तो, प्रेम कहाँ से पाय॥
बहुत सुंदर रचना दी....
सादर।
जब प्रेम होता है तो विश्वास तो पथगामिनी है...अति सुन्दर कहा..
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना भी
मजबूरी है .
और यह मज़बूरी बड़ी कष्टप्रद है !
बहुत सुंदर !
जीवन की वास्तविकता के करीब रचना !
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .......bilkul sahi soch hai apki.....
prem hi wishwas hai aur wishwas hi prem hai...bahut hi sundar kavita...
swabhawik prawah men kahi gayi hriday ko chhoo janewali nazm
मन में है विश्वास नहीं, झूठा प्रेम दिखाए
बेहतर तो होता यही ,बात छुपा ली जाए
बहुत अच्छी रचना...
इस जीवन का आधार ही प्रेम और विश्वास हैं ....खूबसूरत रचना ..
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
....बहुत सच कहा है...प्रेम विश्वास पर ही टिका होता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
विश्वास की नींव पर ही कोई रिश्ता प्रेम के साथ स्थाई रह पाता है, वरना अविश्वास का दीमक इसे चाट जाता है।
विश्वास की नींव पर ही कोई रिश्ता प्रेम के साथ स्थाई रह पाता है, वरना अविश्वास का दीमक इसे चाट जाता है।
मेरी टिप्पणी कहाँ गई :}
प्रेम का आधार विश्वास है और विश्वास स्थापित करने के लिये वाणी और व्यवहार का संतुलित होना बहुत ज़रूरी है ! जब यह संतुलन बिगड़ जाता है सब कुछ डगमगा जाता है ! बहुत ही सारगर्भित रचना ! अति सुन्दर !
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
So true!
' विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है.'
- सोलह आने सच्ची बात कही है संगीता जी ,पूरे सौ नये पैसे पक्की !
विश्वास और खुलापन साथ साथ झलकता है, सुन्दर कविता..
प्रेम में विश्वास का होना ज़रूरी है ,मगर विश्वास ना हो तो बातों को छिपा लेना मजबूरी है ...
विश्वास के टूटने से बड़ा कोई दर्द नहीं है ! मगर फिर भी फिर फिर जोड़नी पड़ती है विश्वास की लड़ियाँ क्योंकि विश्वास अपना तो मजबूत है !
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,,,,,
RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
संगीता दी, बिलकुल व्यावहारिक सीख देती कविता.. आपके अनुभव की छाँव जैसी!!
bahut achhi aur sachchi kavita hai ...mere blog par bhi aayen ,sadar
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .
बहुत ही बढि़या ... आभार ।
वाह: संगीता जी गहन बात कह दी..बहुत सुन्दर..
बहुत ही सुन्दर एवं गहन लेखन .........आभार
खुद पर जिसे विश्वास नहीं होता वह औरों पर भी विश्वास नहीं कर पाता आत्मविश्वास ही रिश्तों की मिठास बना कर रख सकता है.
vishwas par hi rista tika hota hai..
sahi kaha apne....
bahut hi behtarin rachana:-)
बहुत सार्थक बात कही ...
विश्वास ही प्रेम को बल देता है ...!!
बहुत खूब
राजस्थान : जातिवादी तत्वों के मुंह पर एक करारा तमाचा
संवेदनशील रचना अभिवयक्ति...
संगीता जी बहुत सटीक और सुन्दर लिखा है आपने हर शब्द में सच्चाई है
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय
टूटे से फिर ना जुरे जुरे गांठ परि जाय।
बहुत सुंदर ....जीवन का सच यही है....
बातों को छिपा पाना भी तो मुश्किल है... प्रेम में विश्वास होगा तो कोई भी बात खलेगी नहीं... और अगर न होगा.. तो फिर ऐसा बंधन ही भला क्यों!
सुन्दर सार्थक अनुभूति...
सादर
विश्वास ही तो प्रेम की शक्ति है ....जितना गहरा विश्वास ...उतना ही अथाह प्यार !...बहुत सुन्दर संगीताजी
अपने ही अपनों से शिकायत करते हैं
वर्ना गैरों से दर्द का रिश्ता क्या ?
विश्वास जीतो विश्वासों से
मजबूरी की फिर बिसात ही क्या ?
मजबूरी के नाम पर ,सहना वज्राघात
घातक है खुद के लिये,पी जाना हर बात
पी जाना हर बात , नहीं हर कोई शंकर
सहे कुठाराघात, जगत भर के प्रलयंकर
उपालम्भ से सदा , राखिये व्यापक दूरी
प्रेम संग विश्वास , वहाँ कैसी मजबूरी.
रिश्तो का स्तम्भ ही प्यार हैं ....और जहा प्यार हैं वहां रिश्तो की मिठास अपने आप ही हो जाती हैं ...
बहुत सही कहा है आपने |भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
आशा
sach kaha, man aise hi kehta hai, achha laga aapko padhna
shubhkamnayen
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है
सही कहा आपने प्रेम में विश्वास का होना जरुरी है ...
तभी तो डॉ कुमार विश्वास 'प्रेम' के शाश्वत कवि बन गए :-)
अत्यंत सुंदर रचना .... साभार !
बातों को छिपाने में भी यह विश्वास ही है कि शायद छिपाने से ही विश्वास क़ायम हो!
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ठीक कहा आपने .....
इक तरफा प्यार हमेशा दुःख देता है ...और
एक तरफ़ा विश्वास हमेशा धोखा ....
शुभकामनाएँ!
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .
प्रेम में जरूरी है विश्वास । बहुत सच्ची रचना ।
प्रेम का आधार विश्वास है .
सच कहा है .
उपालम्भों से
आती है
हर रिश्ते में
खटास
शिकवे
नहीं रख पाते
मन में
मिठास
बांच लो उद्धव गोपी संवाद .....बढ़िया प्रस्तुति .
बांच लो उद्धव गोपी संवाद .....बढ़िया प्रस्तुति .
अपना सा मुंह लेके लौटे ,उद्धव उदास .
जीवन-मंत्र की तरह...
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .
शुभकामनाएँ.
टूट जाए
जब एक बार विश्वास
कैसे करे कोई
फिर प्रेम की आस ?
bahut sundar rachna... vishas hi to prem ka adhar hai..
सच है प्यार में विश्वास बहुत जरुरी है ,सुंदर रचना
बढ़िया प्रस्तुति...
प्रेम और विश्वास बहुत ही जरुरी है मानवीय संबंधों में. सुंदर कविता.
यह ठीक कहा आपने ...
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .
गहरे भाव....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......
विश्वास जीवन में महत्वपूर्ण है. सुंदर तरीके से बात कही गई है.
prem me vishvas na hoto kuchh nahi hai
tab chhupana hi behter nhai sunder soch
badhai
tachana
di
bilkul sachchi baat likhi aapne
prem me vishwash ka hona jaruri hai
प्रेम में
विश्वास का होना
ज़रुरी है
विश्वास न हो तो
बातों को
छिपा लेना ही
मजबूरी है .
bahut hi sahi aankalan
sambandh tabhi tike rahte hain jab vishvash ki bhavna bani rahe----
hardik naman
poonam
ममा.....सबसे पहले तो माफ़ी चाहता हूँ... क्या करूँ... आजकल टाइम ही नहीं मिल पाता है... आजकल बस गोरखपुर ज़्यादा रहना हो रहा है.... और वहां नेट तो है... पर कभी कभी ही आता है.. इसीलिए आ नहीं आ पाता हूँ.. और आपने भी मुझे मेल नहीं किया.. मैंने कहा था ना... कि मुझे मेल कर दिया करिए... कल आपको फ़ोन करता हूँ...
very impressive
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