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पावस

>> Thursday, July 9, 2009



पावस की पहली बूंदें


जब धरती पर आती हैं


जीवन को कुछ नई चेतना ,


कुछ नया संदेशा दे जाती हैं।




धरती की उस नम गोद से


नव अंकुर फूटा करते हैं


सूखी धरती पर हरियाली


और सबके चेहरे खिलते हैं।




आतप भाग खड़ा होता है


ठंडी बयार आ जाती है


झुलस रहा था उपवन सारा


वहां बहार छा जाती है।




घनघोर घटाओं से जब


अम्बर भी पट जाता है


बरखा की फुहारों से तब


तन - मन सिंचित हो जाता है ।




बारिश के आने से देखो


खिल जाती है क्यारी - क्यारी


भीग - भीग कर बच्चे देखो


गुंजा रहे धरती सारी ।




यौवन की दहलीज़ पर लगती


वर्षा ऋतु न्यारी - न्यारी ,


इसीलिए भाती है सबको


पावस ऋतु प्यारी - प्यारी .

3 comments:

masoomshayer 7/09/2009 12:01 PM  

eemandaree se ek baat batayoon barsih na hone ka dard bhool gaya yoon laga poora bheeg gaya hoon atza barsih se

Anil

अनामिका की सदायें ...... 7/15/2009 11:17 PM  

Sangeeta ji..
waah kya varnan kiya hai pawas ritu ka...bahut manmohak mahol bana diya mano sab jageh hariyali hi hariyali fail gayi ho..
such me ek naya jeewan milta hai is pawas ritu ke youvan ki dehleez per pair rakhte hi.

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