हस्ताक्षर
>> Saturday, July 25, 2009
वातानुकूलित कक्ष में
बैठ कर
तुम करते हो फैसले
उन जिंदगियों के
जिनकी किस्मत में
बदबूदार बस्तियां हैं
कर देते हो
हस्ताक्षर
उन्हें ढहाने के
जिनकी ज़िन्दगी में
केवल झोपड़ - पट्टियाँ हैं.
क्यों कि
तुम्हारी नज़र में
शहर को सुन्दर बनाना
ज़रूरी है
पर ये
झुग्गी - झोपडियां
उनकी मजबूरी है.
मन और कक्ष तुम
सदैव बंद रखते हो
इसीलिए तुम
ऐसे फैसले कर देते हो
ज़रा अपने
मन और कमरे के
गवाक्षों को खोलो
और उनकी ज़िन्दगी के
गवाह बनो .
जिस दिन तुम
उनकी ज़िन्दगी
जान जाओगे
अपने फैसले पर
पछताओगे .
कलम तुम्हारा
रुक जायेगा
मन तुम्हारा
पीडा से
भर जायेगा
और खुद के किये
हस्ताक्षर पर
तुम्हारा ह्रदय
धिक्कार कर रह जाएगा ....
बैठ कर
तुम करते हो फैसले
उन जिंदगियों के
जिनकी किस्मत में
बदबूदार बस्तियां हैं
कर देते हो
हस्ताक्षर
उन्हें ढहाने के
जिनकी ज़िन्दगी में
केवल झोपड़ - पट्टियाँ हैं.
क्यों कि
तुम्हारी नज़र में
शहर को सुन्दर बनाना
ज़रूरी है
पर ये
झुग्गी - झोपडियां
उनकी मजबूरी है.
मन और कक्ष तुम
सदैव बंद रखते हो
इसीलिए तुम
ऐसे फैसले कर देते हो
ज़रा अपने
मन और कमरे के
गवाक्षों को खोलो
और उनकी ज़िन्दगी के
गवाह बनो .
जिस दिन तुम
उनकी ज़िन्दगी
जान जाओगे
अपने फैसले पर
पछताओगे .
कलम तुम्हारा
रुक जायेगा
मन तुम्हारा
पीडा से
भर जायेगा
और खुद के किये
हस्ताक्षर पर
तुम्हारा ह्रदय
धिक्कार कर रह जाएगा ....
9 comments:
ek baar phir se gaharee bahut pyaree soch palokon ke kanron kee namee see baat kartee huyee
अपने काले कोट में,
न्याय की कुर्सी पर
तुम्हें अपना नजरिया सही लगता है...
सादे लिबास में शांत दिल से पूछो
न्यायोचित फैसला कितनों को रास आता है !
भावनाओं की हत्या का तुम क्या फैसला दोगे?.....बहुत बढिया
Behtareen soch
जिस दिन तुम
उनकी ज़िन्दगी
जान जाओगे
अपने फैसले पर
पछताओगे
अच्छी रचना है............. किसी की मजबूरी को जानना बहुत जरूरी होता है और.............. अगर सच को सही तरीके से कोई जान ले तो मानवीय फैसला करना आसान हो जाता है........... बढ़िया लिख है
rashmi jha said---
Dear Aunty,
Today I was trying to post my review on your blog but couldn’t succeed (may be because of some IT problems). Therefore, I request you to do the same if you so wish. My review finds mention as below:
Advice givers
Are everywhere
Sympathy givers
Are very rare.
One has to feel other’s sufferings as one’s very own, sympathy has to be the first & foremost thing in one’s life, sympathy and the feelings of oneness. There cann’t be anything greater than the feeling of oneness”.
This poem of yours has the power to soothe a grieving soul! apart from beautifully acknowledging the situation they are going through…………..
Warm Regards,
Rashmi
Adarneeya Sangeeta ji,
ek bahut achchhee yatharthvadee kavita...achchee lagi..meree badhai sveekaren.
Poonam
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’
bahut barhia...
http://hellomithilaa.blogspot.com
mithilak gap maithili me
http://mastgaane.blogspot.com
manpasand gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke bheje photo
मार्मिक कविता
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती
Post a Comment