क्या कर पाएंगे प्रतिकार
>> Tuesday, January 12, 2010
धरती से
धन धान्य मिला है
अम्बर से
मिलता पानी
फिर भी खाली
झोली ले
फिरता क्यूँ हर प्राणी ?
प्रभु ने हमको
झोली भर - भर
दिए अनेकों उपहार
इन उपहारों का
क्या कभी हम
कर पाएंगे प्रतिकार ?
माँ के आँचल से
जो हमको
छाँव घनेरी मिलती
हर गलती पर भी मिलता
माँ का असीम दुलार
इस दुलार का भी
क्या कभी हम
कर पायेंगे प्रतिकार ?
संगी - साथी
संग खेले हैं
हर सुख - दुःख मेंरहते साथ
बिना किसी शर्तों के मिलता
हमको उनका प्यार
इस प्यार का भी
क्या कभी हम
कर पायेंगे प्रतिकार ?
14 comments:
NICE ;)
bahut acchhi rachna...kash insaan ye sab samajh kar kuch samajh paye, kuchh tasalli/santushti kar paye.
lekin afsos ki insaan har prakar se prakriti ki hariyali khatam kar kankreet k jangle khade kar k aur dharti ka dohan kar k insaniyet ki takat dikha raha hai.
achhi rachna.badhayi.
फिर भी खाली
झोली ले
फिरता क्यूँ हर प्राणी ?
प्रभु ने हमको
झोली भर - भर
दिए अनेकों उपहार
लाजवाब पंक्तियाँ
इस प्यार का भी
क्या कभी हम
कर पायेंगे प्रतिकार ?
कभी नहीं।
बहुत अच्छी कविता। बधाई।
बिल्कुल सही कहा!!
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!!
बहुत ही अच्छी कविता लिखी है
आपने!
bahut pyaree rachana hai sath hee pictures bhee badee acchee lagee 1
behtareen
aapki kalam kee dhaar paini hoti jaa rahi hai, sidha dil par asar chhodti hai
bahut hi sundar bhav.........bahut bada karz hai ise utarna har kisi ke vash ki baat nhi......aur niswarth prem ka karz to utara bhi nhi ja sakta.
सच कहा इतना कुछ मिला है उसके ऋणी होने की जगह हम जो नहीं मिला उसकी शिकायत करते हैं.बहुत खूब
बहुत ही अच्छी कविता
बधाई
मकर संक्रांति कि शुभकामनाएं
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'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता'
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क्रियेटिव मंच
सच है उस ईश्वर ने तो बिन माँगे ही सब कुछ दिया है ........ तेरा मेरा तो हम सब करते हैं ........ बहुत ही सुंदर रचना है .......
आपको मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई ...........
संगीता जी, इतने आसान शब्दों में इतनी प्रभावी बातें कैसे लिख लेती हैं आप?
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
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