ज़िंदगी की महाभारत
>> Tuesday, February 28, 2012
वक़्त का द्रोणाचार्य
पल पल
सजाता है
नित नए चक्रव्यूह
और
अभिमन्यु बना मन
आहत हो
तोड़ता है दम
न जाने
कितनी बार ।
इच्छाओं के कौरव
करते है अट्टहास
उसकी नाकामियों पर
भावनाओं के पांडव
झेलते हैं जैसे
सारी लाचारी
और
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को ।
84 comments:
अभिमन्यु बना मन आहत हो तोड़ता है दम न जाने कितनी बार ।
यकीनन सच ...बहुत-बहुत अच्छी रचना ।
ज़िंदगी की महाभारत से बेहतरीन तुलना की है आंटी !
सादर
सार्थक पोस्ट है आपकी, यह सही है की मन सदा ही उलझा सा रहता है जीवन के सफ़र में
सुन्दर रचना है आभार ।मेरे ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार
बहुत सुन्दर....
और जीत सदा सत्य और अच्छाई की होती है...
सादर.
वाह संगीताजी वाह !!!
क्या कहूं ...शब्द नहीं हैं मेरे पास...एक गहन प्रभाव छोड़ गयी आपकी कविता ...बहुत सुन्दर!
ओह ओह ओह ...गज़ब की सटीक उपमाएं..जाने क्यों और पढ़ने को, पढते ही जाने को मन कर रहा है...
बहुत सुन्दर कल्पना!....बधाई!
महाभारत और जिंदगी का गहरा नाता है....वो हमारा अतित है और हमारा आज उसी महान कृत्य की पुनरावृति कर रहा है....हर उपमा बहुत ही सटीक और सुंदर है...सुंदर चित्रांकन किया है आपने आंटी....लाजवाब।
वाह ……………आपकी बेस्ट पोस्ट मे से एक है ये…………ज़िन्दगी का यथार्थ उकेरती एक सशक्त रचना।
चक्रव्यूह साजा करे , पल-पल वक्ताचार्य ।
अभि-मन आहत हो रहा, कृष्ण-विवेकी कार्य ।
कृष्ण-विवेकी कार्य, करें कौरव अट्ठाहस ।
जायज है सन्देश , धरो पांडव सत्साहस ।
यही युद्ध का धर्म, कर्म का लेकर डंडा ।
युद्ध-भूमि का मर्म, करो दुश्मन को ठंडा ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को ।
अच्छी प्रस्तुति ..
और आपने कर्मयोग का ग्रन्थ गीता लिख दी . सुन्दर
बड़ा अर्थपूर्ण रूपक रचा है ,संगीता जी !
ग़ज़ब!
एक मैच्योर रचना, जिसमें आपने बिम्बों का अद्भुत प्रयोग किया है।
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को ।
बहुत सार्थक और सारगर्भित...
सभी प्रतीक एकदम सटीक बैठते हैं
jeevant prastuti, sach man ke bhitar bhi man chupa hota hai aur use sirph man hi samajh sakta hai.
bahut hi sarthak rachna.....
हमें तो बस विवेक का ही सहारा है..
shabd shabd sahi ....
bahut sunder rachna ...
यकीनन जिन्दगी एक महाभारत से कम नहीं है.
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर सार्थक रचना के लिए बधाई.....
काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
jabardast upmaaon se saja asardar prastuti di hai.
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को । aur aapne sanchalit kiya hai har bhaw ko , behtareen
bahut achcha likhi hain......
विवेक का कृष्ण संचालित करता है ज़िंदगी की हर महाभारत को...
परम सत्य... बहुत सुन्दर उपमाएं दी है आपने... बेहतरीन रचना...
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को ।
सशक्त रचना..... गहन अभिव्यक्ति
कितनी अद्भुत रचना है संगीता जी ! कितना मौलिक एवं प्रभावशाली रूपक बाँधा है अपनी रचना में ! एक अत्यंत अनुपम व अप्रतिम रचना ! बधाई स्वीकार करें !
संगीता जी, आपने जीवन को महाभारत के सांचे में बहुत ख़ूबसूरती से फिट किया है, पढ़ कर मन मुग्ध हो गया.... इस रचना की प्रशंसा को शब्दों में बांध पाना मेरे लिए तो सम्न्भव ही नहीं हैं... अब सूरज को क्या दिया दिखाना... वक़्त का द्रोणाचार्य, मन अभिमन्यु, इच्छाओं के कौरव, भावनाओं के पांडव और अंत में विवेक का कृष्ण... सभी उपमान बस अद्भुत हैं.... यह एक कालजयी रचना बन गयी है, जिसे जितने बार भी पढ़ा जायेगा पहले से जादा अच्छी लगेगी... इस अत्यन्त प्रभावशाली रचना के लिए बहुत बहुत बधाई....
सादर
मंजु
काश,विवेक हमारे पाले में रहे हमेशा !
सशक्त रचना!
अभिमन्यु मन ,
इच्छाएं कौरव ,
भावनाएं पांडव .
विवेक कृष्ण , और महाभारत जिंदगी की ...
मोहित मुग्ध हुए शब्दों के इस जाल में !
अप्रतिम रचना ..
वक्त का द्रोणाचार्य, अभिमन्यु मन, इच्छाओं के कौरव, विवेक का कृष्ण...
वाह! दी अद्भुत प्रतीकों में सार्थक और सशक्त रचना दी है आपने...
सादर.
sach kaha zindgi ek mahabharat hi to hai..bahut achchi rachna
कृष्ण (विवेक) जैसा सारथी हो तो कोई मुश्किल बात नहीं !
बहुत सुंदर बिम्ब प्रयोग किया बढ़िया रचना !
जीवन के अर्थ समझाती आप कि कविता .......
आभार!
महाभारत के महाकाव्य में जीवन का सार समेत लिया है ... लाजवाब ..
बहुत सुंदर उपमाएं चुनी हैं आपने..विवेक बिना सब सूना...बधाई इस कविता के लिये!
और
अभिमन्यु बना मन
आहत हो
तोड़ता है दम
न जाने
कितनी बार ।
ख़ूबसूरत ढंग से पूरी महाभारत ही वास्तविक जीवन उतार दी !
मिथकीय पात्रों को आपने बड़े ही सुन्दर भाव दिए हैं जीवन की महाभारत में
बहुत अदभुत तुलना की हम आपने जिन्दगी की महाभारत की.....
बहुत ही बेहतरीन
बहुत ही सार्थक रचना है...:-)
बहुत ही गहन चिंतन...शब्दों की जादूगरी भी...हाँ...एक महाभारत ही तो चल रही है...हमारे भीतर...
बेहतरीन रचना..
सार्थक अभिव्यक्ति है संगीता जी..
आपको नमन.
दी, यही कारण है कि महाभारत हर युग में हमारे जीवन के हर पहलू से जुडी है.. हर पल हम या तो अभिमन्यु होते हैं, या अर्जुन,या कृष्ण और कभी कभी तो दुर्योधन और भीष्म भी!!
बहुत अच्छी कविता!!
/
पुनश्च: "अट्टहास" शब्द में टंकण की त्रुटि दिख रही है!! कृपया सुधार लेंगी!
सभी पाठकों का आभार ॥
सलिल जी ,
त्रुटि सुधार ली गयी है .... शुक्रिया ध्यान दिलाने का ॥
bahut sunder dhang se tulanaa karati hui shaandaar rachanaa.badhaai aapko.
आप का बहुत बहुत धन्यवाद की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और इतने अच्छे सन्देश दिए /आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /मेरी नई पोस्ट आपकी टिप्पड़ी के इन्तजार में हैं/ जरुर पधारिये /लिंक है /
http://prernaargal.blogspot.in/2012/02/happy-holi.html
मैंने एक और कोशिश की है /अगर आपको पसंद आये तो उत्साह के लिए अपने सन्देश जरुर दीजिये /लिंक है
http://www.prernaargal.blogspot.in/2012/02/aaj-jaane-ki-zid-na-karo-sung-by-prerna.html
इच्छाओं के कौरव
भावनाओं के पांडव
विवेक का कृष्ण
Bahut hi khoobsurat aur sateek, Sangitaji.
jindgi ko mahabharat se jod kar bahut achchhi bat kah gayin aur vaakai jeevan kee sachchhai yahi hai.
behtreen .......zindgi ki mahabharat........aur..
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को......umda ...!
वर्तमान परिपेक्ष को इंगित करती बहुत ही बढ़िया रचना..
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति !
आभार !
sangeeta ji apne yathrath hi likhati hain ....sadar badhai ....rachana behad prabhavshali lagi ....kafi dinon se ap mere blog tk nahi pahuch sakin hain ...amantran sweekaren .
वक़्त का द्रोणाचार्य
पल पल
सजाता है
नित नए चक्रव्यूह
और
अभिमन्यु बना मन
आहत हो
तोड़ता है दम
न जाने
कितनी बार ।
यथार्थपरक पंक्तियां....मर्मस्पर्शी ...
हार्दिक बधाई..
बेहद स्टीक रूपक बाँधे हैं आपने संगीता जी। हाइकू भी ज़बर्दस्त !
विलंब के लिए क्षमा।
इच्छाओं का कौरव,
भावनाओं के पांडव,
विवेक का कृष्ण....
सटीक प्रतीकों के प्रयोग से कविता बहुत सुंदर बन गई है।
परमादरणीय संगीता जी होली की शुभकामनाएँ
bahut gahan bhav
वाह! जी वाह!
शानदार गीत.
बेहतरीन अनुभूतियाँ.
वीर अर्जुन हों,और कृष्ण साथ हो,
तो जीत तो निश्चित ही है.
आभार.
होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को ।
यही कश- म- कश,अंतर -द्वंद्व ही तो जीवन है हर सांस की धौकनी है भले उसकी हर सांस बेगानी हो .
होली मुबारक .गुलाल ,मुबारक,अबीर और गुझिया खाओ रंग लगाओ ..
कौरवों को बस एक कृष्ण की कमी रहती है और हो जाता है महाभारत!
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को । .........LOL kahin na kahin har kisi ko chahe unchahe kisi na kisi mahabharat ka hissa banna hi padta hai .or tab samajh aata hai ki majbooriyan insan ko kaise bandh deti hain cheerharan ke vaqt .......bhishm or dron ke jaise
नित नया महाभारत ...
रंगोत्सव की शुभकामनायें स्वीकार करें !
बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,यह यकीनन एक बेहतरीन रचना है ,...
संगीता जी,... होली की बहुत२ बधाई ,...
NEW POST...फिर से आई होली...
NEW POST फुहार...डिस्को रंग...
जिंदगी का ये महाभारत कभी ख़त्म होते नहीं लगता. यह अनवरत आज भी जारी है. यक़ीनन सच कहा आपने... सुन्दर प्रस्तुति.
सुन्दर उपमायें! शुभ होली!
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को ।
....कुछ शब्दों में गहन जीवन दर्शन..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
bilkul jeevan ke yatharth ko chhoti hui rachana .....badhai ke sath sath holi pr subhkamnayen.
main sochta tha ki mahabharat ke patra mere hi pasand ke hain kintu nahin aapaka khubsurat chitran WAH LAJAWAB.
ज़िन्दगी महाभारत से कम कहां है.. रोज़ एक नई लड़ाई लड़ते हैं हम.. और रास्ता दिखाने के लिए कृष्ण भी नहीं होते
जिन्दगी और महाभारत बेहतरीन तुलना,..
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...संगीता जी
RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,
विचारों बहुत सुंदर संयोजन। पाण्डव की दुविधा को आपने बहुत अच्छे तरीके से अभिव्यक्ति दी है। आपको और आपके पूरे परिवार को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं।
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सुंदर भाव-बिंबों के साथ श्रेष्ठ रचना के लिए आभार !
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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वाह ! कविता ने निशब्द कर दिया !
होली की ढेरो शुभकामनाएँ !
आपको और समस्त परिवार को होली की मंगल कामनाएं ..
बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|
रंगपर्व पर आपको ढेरों शुभकामनाएं...
होली की हार्दिक शुभकामनायें !
सटीक अभिव्यक्ति.
होली की हार्दिक बधाई.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
इच्छाओं के कौरव
करते है अट्टहास
उसकी नाकामियों पर
भावनाओं के पांडव
झेलते हैं जैसे
सारी लाचारी
और
विवेक का कृष्ण
संचालित करता है
ज़िंदगी की
हर महाभारत को । ...
...
दीदी निशब्द करने वाली रचना कितना सटीक चिंतन है आपका वाह !
परंतु का शकुनी
हर काल में
खेलता रहेगा
तेरा-मेरा के पासे
शर शैया पर पड़ा
जीवन का भीष्म
इच्छा मृत्यु से पूर्व
अपेक्षा के अर्जुन से
मांगा करेगा
सुख की गंगा का
अंजुरी भर नीर.
सुंदर रचना.
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