चेहरे बदल के मिलता है
13 years ago
मैंने -
छोड़ दिया है
ख़ुद को
वक्त के
बेरहम हाथों में ।
चाहती हूँ देखना कि
कितनी बेरहमी करता है
ये वक्त मेरे साथ?
कभी तो थकेगा
वक्त भी ?
उस समय मैं पूछूंगी
वक्त से ---
कि क्या तुम वही वक्त हो????
लेकिन मुझे मालूम है
कि इस प्रश्न का उत्तर
उसके पास नही होगा ।
क्यों --?
क्यों कि शायद
वक्त कभी नही थकता .
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1 comments:
udaseenta se bhara ye kalaam aur waqt k sath aapki jaddojehed....acchhi lagi..
aisa lagta hai jaise sangharsh karne wale ne waqt ke aage apne hathiyar daal diye ho...
per aisa nahi hona chaahiye..
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