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वक्त

>> Thursday, December 18, 2008



मैंने -

छोड़ दिया है

ख़ुद को

वक्त के

बेरहम हाथों में ।

चाहती हूँ देखना कि

कितनी बेरहमी करता है

ये वक्त मेरे साथ?

कभी तो थकेगा

वक्त भी ?

उस समय मैं पूछूंगी

वक्त से ---

कि क्या तुम वही वक्त हो????

लेकिन मुझे मालूम है

कि इस प्रश्न का उत्तर

उसके पास नही होगा ।

क्यों --?

क्यों कि शायद

वक्त कभी नही थकता .

1 comments:

taanya 12/20/2008 4:52 PM  

udaseenta se bhara ye kalaam aur waqt k sath aapki jaddojehed....acchhi lagi..

aisa lagta hai jaise sangharsh karne wale ne waqt ke aage apne hathiyar daal diye ho...

per aisa nahi hona chaahiye..

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