मुआवज़ा ......एक ख्वाहिश ऐसी भी ..... ( लघु कथा )
>> Sunday, May 23, 2010
रेलवे स्टेशन पर अचानक हुई भगदड़ से लोग एक दूसरे पर गिर रहे थे ...जो गिर गए थे लोग उनके ऊपर से ही उन्हें कुचलते भागे जा रहे थे....किसी को कुछ जैसे होश नहीं था... सबको बस अपनी फ़िक्र थी.....बहुत मुश्किल से भीड़ पर काबू पाया गया ....इस हादसे में तीन की मृत्यु हो गयी और पंद्रह घायल हुए |
रेलवे मंत्रालय ने घोषणा की ..कि मृतक के परिवार को दो लाख और घायल को पचास हज़ार मुआवज़ा दिया जायेगा...
घायलों में एक चौबीस साल का गरीब परिवार का युवक भी था....उसे बहुत गहरी चोटें आयीं थीं...अस्पताल में भरती कराया गया...दोनों पैर की हड्डियां टूट गयीं थीं और पसलियाँ टूट कर एक दूसरे में घुस गयीं थीं ....डाक्टर का कहना था कि जल्दी ही ऑपरेशन नहीं हुआ तो बचाना मुश्किल हो जाएगा.. ....ऑपरेशन में तीन लाख का खर्चा था जिसका इंतजाम उसका गरीब बाप नहीं कर पा रहा था...हरसंभव कोशिश कर हार गया .... निराशा अंतिम चरण पर थी...दिल से आह निकली...काश ये हादसे में ही मर जाता तो ना इलाज करवाना पड़ता और........
http://charchamanch.blogspot.com/2010/05/164.html
http://charchamanch.blogspot.com/2010/05/164.html
30 comments:
हृदय विदारक पोस्ट.....गरीबी भी कैसे कैसे मुआवजों की मोहताज़ है...
संक्षिप्त कथा में अथाह वेदना जीवन की. ये लेखनी का कमाल आपकी लेखनी ही कर सकती है.
बधाई.
सत्य को दर्शानेवाली लघुकथा!
--
हम भी उड़ते
हँसी का टुकड़ा पाने को,
क्योंकि हम सब की आँखों के तारे!
बहुत ही हृदयस्पर्शी कथा है ... सरकार को चाहिए की वह न केवल मुआबजा दे बल्कि, इलाज का इंतजाम भी कर दे ...
ओह पढ़कर ही व्यथित हो गया हूँ जिसके ऊपर बीत रही होगी उसका तो क्या हाल होगा।
आज की वस्तविकता को दर्शाती ये लघुकथा बहुत ही मार्मिक है।
मुझे पीड़ा का अनुभव हुआ ! सरकार भेदवाव करती है! हवाई यात्राओं मरने वालो कों ७२ लाख एक एक व्यक्ति कों दिए जाते है तब रेल के मुसाफिरों के साथ यह भेदभाव नही तो और क्या है ?
ohhhh.....
dil achhanak se ro utha..
bahut hi marmik katha....
oh kitna maarmik bahut dukhdaayi...
उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़.. ये सच है क्या मैम?
ओह!! दर्दनाक!
महफूज़ की टिप्पणी मेल के द्वारा ....
बहुत ही दर्द भरी.... और सच्चाई को व्यक्त.... करती सशक्त....कहानी है.... पर कमेन्ट नहीं पोस्ट हो रहा है.... अबसे मैं भी ऐसी ही छोटी लघुकथाएं लिखूंगा.... बहुत अच्छी लगी...
--
www.lekhnee.blogspot.com
Hi..
Kahne ko laghu katha par hai visham jeevan ki katha..
Jeevan main kai aise mauke aate hain jab vyakti nakaratmak sochne lagta hai.. Par kya wo vastav main vaisa kuchh chahta hai..? Shayad nahi.. Ek baap ke liye es se peedadayak kya ho sakta hai ki uske jigar ka tukda es haal main pada hai aur wo chah kar bhi kuchh kar nahi pa raha hai.. Shayad esi dard ne us bhayavah vichar ko janm diya jisme wo uski mrutyu ki kalpna karne laga.. Esi ko bebasi kahte hain...
DEEPAK..
कमाल .. बस कमाल
दीदी
हृदयविदारक सत्य...इस तरह की योजनाओं से किस तरह का मनोविज्ञान जनम लेता है इसका सटीक चित्रण..हम सभी के मन में यह भाव हर बार आता है जब भी ऐसी कोई दुर्घटना होती है और सरकार मुआवजे घोषित करती है... आपने उसको खूबसूरती से शब्दों में ढाला ... पूर्ण संवेदनाओं के साथ...बधाई..
मुदिता
Hi di..
Kshma chahta hun ek hi comment 10 baar publish ho gaya...lagta hai kuchh technical fault ho gayi thi...
Deepak..
सभी प्रबुद्ध पाठकों का आभार...
@@ दीपक धुक्ला ,
कभी कभी हो जाता है नैट की गडबड़ी से....
*****
दीपक मशाल..
आपने पढ़ा ही होगा.....साहित्य समाज का दर्पण है ...मजबूरियां सोच को किस कदर प्रभावित करती हैं...बस यही इस लघु कथा में है
zabardast laghu katha hai mumma.. sihran si daud gayi ...
..दिल से आह निकली...काश ये हादसे में ही मर जाता तो ना इलाज करवाना पड़ता और........
ye panktiyaan man ko bhed gayi ,ek dardnaak satya ki tasvir prastut ki hai aapne ,majboori kuchh aese hi shabd ukelti hai .maarmik .
होता है दी ! ऐसे हादसों में एक गरीब बेचारा और करे भी क्या ? बेहद दुखद हादसे को बेहद मार्मिक रूप से लिखा है आपने ...
मार्मिक अभिव्यक्ति ... जीवन का क्रूर सत्य ....
ओह्ह्ह....क्या विडंबना है...
बहुत ही हृदयविदारक घटना को कथा के रूप में ढाल दिया है आपने...द्रवित हो गया मन
बहुत ही दर्दनाक और ..दुविधापूर्ण ....सरकार को इलाज के पश्चात ही अलग से मुआवजा देना चाहिए अगर इलाज ही ठीक से ना हुआ तो मुआवजे का कोई औचित्य नहीं ....एक मार्मिक सत्य है आपकी प्रस्तुति
rashmi ravija ji ne bahut sahi shabdon mein katha ka saar or marm likha hai
Uff! Duniyame kisi bhi maa baap ko aisa durdin na dekhna pade...
uff! is par kya kahoon Muma.......vyathit kar diya is ahani ne...ye ek baap ki soch nahin balki gareebi ke khayal hain..k beta mar hi jata..to do paise aate muaawze ke.........:(
...waise abhi bahi socha k humare vyathit hone se kya hoga..kaash jinke paas athaah sampatti hai...woh log aise cases ke liye kuch stock wagerah khol k rahein to behtar hon...free mein gareebon ka bada operation ho sake.............
:(
Post a Comment