bahut khub likha hai aapne.... आँखें बंद कर जब तुझे महसूस किया चांदनी सा शीतल था चाँद.. waah,lajawab.... ----------------------------------- mere blog par meri nayi kavita, हाँ मुसलमान हूँ मैं..... jaroor aayein... aapki pratikriya ka intzaar rahega... regards.. http://i555.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति. जैसे आह चाँद कहते ही एक ढंडक का एहसास भर जाता है मन में उसी प्रकार इस रचना को पढ़ कर ठंडक का एहसास हुआ.चित्रों का चुनाव सराहनीय है
ये चाँद ...वो चाँद .... सबका अपना अपना चाँद ... जिसको आँख बंद कर महसूस किया शीतल चांदनी सा चाँद ... बहुत सुन्दर है ये चाँद ... मेरा चाँद ...तेरा चाँद ....!!
बहुत ही नायाब रचना, चाँद के अनोखे बिम्ब मन को मोह गएतारों की
कटोरियों
के बीच
रोटी सा
रखा चाँद..क्या सुंदर चित्रण है, मैंने अपने से कुछ यूँ जुड़ा हुआ महसूस किया कि .. मेरे गले में मोती की माला में, दिल के क़रीब,पेंडुलम सा लटकता चाँद।।...हर छंद उत्कृष्ट..
कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
34 comments:
बहुत खूब, चाँद की भिन्न भिन्न अवस्थाओं के अनुरूप जीवन के झलक देती कविता
ये पढ़कर तो सच में बस यही निकलता है मूंह से " आह चाँद "
बहुत ही सौंधी सौंधी सी नज़्म हुई है दी !
wah wah...........kya tarif ki hai aur chand ke har rang se ru-b-ru karwa diya.........gazab ka likha hai.
अरसे बाद
तेरा आना
और यूँ
मुस्कुराना
जैसे
दिखा हो
ईद
का चाँद ..
वाह .. चाँद भी क्या क्या गुल खिलाता है ... लाजवाब ... चाँद सा लिखा है ....
बड़ी खूबसूरती से चाँद के अलग अलग अंदाज़ बयाँ किया हैं...पर आँखें बंद कर उसका शीतल रूप ही मन को भाता है
पुराने मिथक का अति नव्य प्रस्तुतीकरण!
--
बौराए हैं बाज फिरंगी!
हँसी का टुकड़ा छीनने को,
लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!
waah ek chaand ke kitne rang dikha diye aapne...bahut sundar
बहुत सुन्दर ! चाँद के कितने रूप !
बहुत सुन्दर चाँद लगा आज तो
इतने रूप
bahut khub likha hai aapne....
आँखें बंद कर
जब तुझे
महसूस किया
चांदनी सा
शीतल
था चाँद..
waah,lajawab....
-----------------------------------
mere blog par meri nayi kavita,
हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
jaroor aayein...
aapki pratikriya ka intzaar rahega...
regards..
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चन्दा को लेकर बहुत ही सुन्दर परिकल्पनाएँ की हैं आपने!
चाँद बहुत डिमांड में है आजकल ..आतिश जी,दिलीप जी आप और खुद मैं ...
इतनी गर्मी में चलो कोई तो ठण्ड दे रहा है
इस रचना को पढ़कर ऐसा लगा कि चौदहवीं के चांद में चार चांद लग गया हो!
एक गान भी अनायास होठों पर आ गया
चांद खिला और तारे हंसे रात अजब मतवाली है....
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति..बढ़िया रचना के लिए आभार
चंदा रे चंदा तेरे रूप कितने ?
जिसने देखे है जैसे लगे उतने?
वाकई इसको कहते हैं कि किसी भी चीज को लेकर भाव इतने गहरे चले जाते हैं और इसी को एक आम आदमी से अलग छवि बनाता है ये लेखन.
बहुत सुन्दर वर्णन!
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति. जैसे आह चाँद कहते ही एक ढंडक का एहसास भर जाता है मन में उसी प्रकार इस रचना को पढ़ कर ठंडक का एहसास हुआ.चित्रों का चुनाव सराहनीय है
अच्छी प्रतीकात्मक रचना.बधाई.
मेरी छत पर भी कटोरों में चांदनी भर गया आपका ये चाँद
आभार
bahut hi khoobsoorat nazm Mumma.........:D
...aur pics achchi achchi add ki aapne...:)
agreed wth Shikha di..saundhi suandhi nazm hui hai...:)
बहुत ही सुन्दरता से आपने चाँद के विभिन्न रंग को प्रस्तुत किया है! तस्वीरें भी बहुत अच्छी लगी!
खुले
आसमान के तले
पथरीली
धरती पर पड़े
छोटे से
घर की
छत सा
दिखा चाँद .
ye wala sabse achha chand hai mumma... :) badi achhio nazm hai .. :)
यह चाँद तो सुकून बन गया
ये चाँद ...वो चाँद ....
सबका अपना अपना चाँद ...
जिसको आँख बंद कर महसूस किया
शीतल चांदनी सा चाँद ...
बहुत सुन्दर है ये चाँद ...
मेरा चाँद ...तेरा चाँद ....!!
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
MUMMY JI
मेरी १०० वी समर्थक प्रवाल्लिका जी की एक सुंदर कविता...
आप अपनी अनमोल प्रतिक्रियाओं से लेखक को प्रोत्साहित कर हौसला बढाईयेगा
सादर ।
hi didi ji..
Chand har ek raat main,
hota hai sabke saath main,
lagta hai jaise ho chalta..
taaron ke sang baarat main..
wah...
Deepak..
har chaand behad khubsurat.... poonam aur eid ek sath hui aaj :)
आँखें बंद कर
जब तुझे
महसूस किया
चांदनी सा
शीतल
था चाँद..
बहुत सुन्दर कविता, एकदम चांदनी की तरह स्वच्छ, निर्मल.
संगीता जी, मैंने ताला हटा लिया है,
चर्चे के लिए मेरी रचना चुना गया, शुक्रिया ! मैंने एक और पोस्ट किया है, उसे भी देखने ज़रूर आयें ....
bahut sundar
Rachname chandni-si sheetalta hai!
प्रत्येक शब्द-चित्र अपने-आप में निराला. एहसासों में रची-बसी जमीनी जिंदगी ने चाँद को जमीं पर उतार दिया है.आभार.
आहा...चाँद को लेकर कितनी सुँदर परिकल्पनाएं...अद्भुत..बेहद खूबसूरत❤️❤️.
बहुत ही नायाब रचना, चाँद के अनोखे बिम्ब मन को मोह गएतारों की
कटोरियों
के बीच
रोटी सा
रखा चाँद..क्या सुंदर चित्रण है, मैंने अपने से कुछ यूँ जुड़ा हुआ महसूस किया कि ..
मेरे गले में मोती की माला में,
दिल के क़रीब,पेंडुलम सा लटकता चाँद।।...हर छंद उत्कृष्ट..
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