नीला आसमान
>> Thursday, August 26, 2010
मैं -
आसमान हूँ ,
एक ऐसा आसमान
जहाँ बहुत से
बादल आ कर
इकट्ठे हो गए हैं
छा गई है बदली
और
आसमान का रंग
काला पड़ गया है।
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
जब बरस जायेंगे
ये सब तो
तुम पाओगे
एक स्वच्छ , चमकता हुआ
नीला आसमान...
57 comments:
बादल कुछ इसी तरह से साफ होते हैं
जीवन की भी यही हकीकत है
प्रकृति के साथ बेहतर ढंग से जोड़ा है आपने अपनी रचना को
बड़ी सुंदर रचना .....
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बहुत अर्थपूर्ण भाव....
नमस्कार संगीता जी, शाश्वत सत्य का बयान...बधाई.
nile aasmaan kaa vegyaanik kaarn aapne vykt kiye hen kyun ki aasmaan kbh nilaa kbhi kaala ghtaa vaala to kbhi strngi ho jaata he lekin nilaa aasman saaf suthre mosm kaa hota he or yeh aapne bhtr triqe se prstut kiyaa he . akhtar khan akeal kota rajsthan
सच कहा आपने...
कभी कभी ये तनाव के क्षण शांत मन के नीले आसमान पर छा जाते हैं.
एक ऐसा आसमान
जहाँ बहुत से
बादल आ कर
इकट्ठे हो गए हैं
क्या बात है!!
आपका लेखन एक मनुष्य की आम भावनाओं को vyakt करता है.
समय हो तो अवश्य पढ़ें: पैसे से खलनायकी सफ़र कबाड़ का
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html
जीवन की आपाधापी से त्रस्त, जीवन की विसंगतियों से आहत और प्रतिकूल परिवेश से आक्रांत मनस्थितियों का कवयित्री ने प्रभावी चित्रण किया है। वह अन्योक्ति से एक गहरा संकेत करती है।
बादलों और जीवन के उतार चढ़ाव को जिंदगी के साथ जोड़ कर सुंदर शब्द रचना की है.
प्रभावी अभिव्यक्ति.
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
सुन्दर अभिव्यक्ति है.
- विजय तिवारी " किसलय "
Mumma kripya ye wahan post kar dijiyega...aapka blog mujhe ijaazat hi nahin de raha hai :(:(
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
bahut achhi lagi ye nazm Mumma...........woh kehte hain naa...toofan ke baad ekdum sab kuch settled aur shaant ho jata hai..kuch kuch waisa...........:):)
kam se kam aisi nazmon se swayam ke dil ki ghutan to kam hoti hi hai.....nai???? :):)
ऊपर की टिप्पणी तरु की है ....
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
सुन्दर अभिव्यक्ति है.
- विजय तिवारी " किसलय
आप की रचना 27 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
waah kya joda hai aasman ko man se
par di ! chahe kitne bhi kale badal aa jaye aasmaan apna swachchh neela rang pa hi leta hai :) hai na :)
di namaste
bahut hi khoobsurat rachna hai
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की ....
sach ko bayan karti hain .........
dhanyabad
जब बरस जायेंगे
ये सब तो
तुम पाओगे
एक स्वच्छ , चमकता हुआ
नीला आसमान...
बहुत खूबसूरत रचना ..
और फिर आशा का संचार भी तो है ..
बहुत ही सारगर्भित रचना है!
बधाई!
--
सुख के बादल कभी न बरसे,
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
क्या खूब कविता कही आज... साथ ही लगता है कि चित्र और ये कविता एक दूजे के लिए ही बने हैं... कुछ सुन्दर चित्र और देखिएगा.. कहीं आस पास ही हैं.. :)
सन्देशप्रद कविता ! सुन्दर कविता !
संगीता दी,
पंचतत्व, जिनसे यह शरीर बना है, में गगन भी एक है. तभी शायाद हम बादलों से घिरा पाते हैं जीवन को. जैसेः जीवन में दुःख के बादल छा जाना या विरह में इनके माध्यम से संदेश प्रेषित करना..किंतु जिस प्रकार आपने मन पर छाने वाली काली घटा की बात कही है और उस बदली का छँटना बताया है, वह अनुपम है... बहुत सुंदर!!
सलिल
बेहतरीन रचना.
तूफ़ान के बाद छाने वाली ख़ामोशी ...
या गरज कर बरस जाएँ बादल तो सब धुला धुला हो जाए पाक साफ़ ....फिर से ..
सुन्दर कविता ...तस्वीर उससे भी सुन्दर ...!
गहरे भाव समेटे बहुत ही उम्दा पोस्ट लगी , हाँ इंतजार तो रहता ही कि कब फट जाए बादल , राहत भी मिलती है मन भी हल्का हो जाता है ।
sangeeta ji, mann par ho badal ya fir aasman par, dono jagah se chhat jaaye, sundar neela aasmaan...waah bahut sundar, shubhkaamnaayen.
बेहतरीन रचना.....
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
........... mann ka indradhanush jab nikalta hai to saare baadal chhant jate hain, bahut badhiyaa
ये बदली और तमाम अन्य चीजें न हों तो आसमान साफ कैसे होगा। ये बादल ही तो बहा ले जाते हैं मैल आसमान का। मन जो गुबार होता है जब वह आसूंओं में बहकर निकल जाता है तभी तो मन हल्का और साफ होता है।
बढ़िया रचना बढ़िया भाव.......आभार
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
Waah !
वे दिन अवश्य आते हैं ...शुभकामनायें आपको
बरसो रे मेघा - २ , अच्छी प्रस्तुति
http://oshotheone.blogspot.com/
गहरे भाव के साथ सुन्दर सन्देश देती हुई इस शानदार रचना के लिए बधाई!
सुंदर
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
जब बरस जायेंगे
ये सब तो
तुम पाओगे
एक स्वच्छ , चमकता हुआ
नीला आसमान...
बस इन्तजार इसी दिन का है, जब सरे जग से काले बदल छंट जाएँ और हम सब मिलकर एक परिवार की तरह से जी सकें.
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
वाह .. बढिया !!
barsna hi to sukhad hai \sundar bhav .
कमाल है...इधर भी आसमान का रंग नीला है...आपके शब्द, सच सच हैं...
आसमान और हृदय, दोनों विशालता की एक सम्बन्ध से बँधे हैं।
bahut sundar aur umada vichaar hai aapke!...kaash ki aisaa hi ho aur vrutha du:khon se chhutkaara mile!
प्रभावी अभिव्यक्ति.
bahut achha likha h aapne
aap mujhse badi hai to mai aapse ek bat puchna chahti hu
ki mai bhi likhti hu or chahti hu ki sab mujhe bhi jane
ye kese ho sakta hai plz mujhe bataye m aapki aabhari rahugi
deepti sharma
mere blog ka link hai
www.deepti09sharma.blogspot.com
बहुत खूबसूरती से मन के भाव और बेचैनी को व्यक्त कर दिया अपने तो. बधाई
यह कविता मुझे ऐसे लगी जैसे मेरे ही ऊपर लिखी गई है.... मुझे बहुत अच्छी लगी यह कविता.... बाहर होने की वजह से मैं लेट हो गया....
बहुत गहरी रचना संगीता जी ! गूढ़ जीवन दर्शन को आप कितनी सहजता से और सरलता से परिभाषित कर देती हैं ! बहुत सुन्दर ! बहुत बहुत बधाई !
बहुत ही सशक्त और सारगर्भित रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
bahut sundar kavita....
बहुत सुन्दर ...
********************
छोड़ दे माँ - बाप को किसी के लिए ?
http://sometimesinmyheart.blogspot.com/2010/08/blog-post_27.html
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मुझे येसा लग रहा हैं की आजकल आप का प्यार कम हो गया हैं जी
मरे से कोई गलती होगयी हो तो माफ़ी चाहता हूँ
बहुत प्यारी रचना |बधाई |आपका शब्द चयन मन को छू जाता है |
आशा
बहुत अच्छा लिखा है आपने. पढ़कर अच्छा लगा
bahoot sunder kavita........
padhkar laga jaise nirasha ke badal chale gaye ho aur sirf ef ujla nishchal akash ho
बेहद सुन्दर प्रस्तुति।
जी हाँ हम भी उसी बादल के छटने का इंतजार कर रहें हैं....
और इसी उमीद में एक और दिन निकल जाता है....
आशा भी क्या चीज़ है....
नीला आसमान तो हमारा है...
बस यही आशा है...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।
आम आदमी के तनाव सचमुच काले बादल जेसे दिल धमनियों और दिमाग पर छा जाते हैं.अब आप खुशनसीब हो तो कोई प्यार भरा स्पर्श,बच्चे की सरख़म सॉरी ,अच्छा म्यूजिक ...तनाव मुक्त कर देते हैं बिल्कुल जेसा आपने कहा है
जब बरस जायेंगे
ये सब तो
तुम पाओगे
एक स्वच्छ , चमकता हुआ
नीला आसमान...
behtareen nazm hai mumma..
bahot sunder.
Bhai vah kya baat hai. Nice Poem.
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