चुनावी दंगल
>> Monday, April 6, 2009
राजनीति में
नीति नही
बस राज है
पक्ष - विपक्ष
बाहर से अलग
लेकिन अन्दर से
हमराज़ है ।
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किसी दल का नेता
चुनाव जीत जाए
ये उसकी लाचारी है
क्यों कि -
निर्दलीय नेता
उन सब पर
भारी है ।
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चुनाव -
सर चढ़ कर बोल रहा
हर दल -
अपना घोषणा पत्र पढ़ रहा
जनता को -
रिश्वत मिल रही
वादों की -
डुगडुगी पिट रही ।
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चुनाव के दौरान
दावा है कि मशीनी चुनाव होगा
न किसी के साथ बेईमानी
न किसी के साथ धोखा होगा
पर आवश्यकता आविष्कार की जननी है
तो भईया -
कहीं भी बटन दबाओ
एक ही नाम पर ठप्पा लगा होगा .
3 comments:
sundar kshanikayen..
pahli sabse khoobsurat hai
कहीं बटन दबाव,एक नाम पे ठप्पा होगा,
सही है,मज़ा आ गया .........
चुनावी राजनीति पर काफ़ी सधी हुई क्षणिकाएं।
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