आह्वान
>> Wednesday, April 22, 2009
आह्वान मत करो
नए साल में खुशियों का
क्यों की खुशियाँ तो
महज़ धोखा हैं ।
आह्वान करना है तो करो -
ख़ुद से ख़ुद को मिलने का
नए संकल्प करने का
ये वक्त मदमस्त हो
गंवाने का नही है
वक्त है
आंकलन करने का की-
गए वर्ष में हमने
क्या खोया
क्या पाया है ।
ख़ुद में विश्वास जगाना है
वो सब पाने का
जो हम सोचते हैं की
खो चुके हैं ।
आज करना है तो
अपने आत्मविश्वास का
आवाहन करो
नए वक्त को
अपने अनुरूप बनाओ
न कि वक्त के साथ
ढल जाओ ।
अपने लिए नही
दूसरों के लिए जियो
अपनो के लिए नही
देश के लिए मरो...
1 comments:
bahut hi achha likhi hai aap .... aaj samay ke abhaw me pura nahi dekh saka per dekhunga , ye kuchh line mujhe bahut achhi lage man me na jane kaisa ye sor hai , wo chahta kuchh aur aur kahta kuchh aur hai ..... v nice
Post a Comment