छुअन
>> Sunday, December 13, 2009
स्मृति की मञ्जूषा से
एक और पन्ना
निकल आया है
लिए हाथ में
पढ़ गयी हूँ विस्मृत
सी हुई मैं ।
आँखों की लुनाई
छिपी नहीं थी
तुम्हारा वो एकटक देखना
सिहरा सा देता था मुझे
और मैं अक्सर
नज़रें चुरा लेती थी ।
प्रातः बेला में
बगीचे में घूमते हुए
तोड़ ही तो लिया था
एक पीला गुलाब मैंने ।
और ज्यों ही
केशों में टांकने के लिए
हाथ पीछे किया
कि थाम लिया था
गुलाब तुमने
और कहा कि
फूल क्या खुद
लगाये जाते हैं वेणी में ?
लाओ मैं लगा दूँ
मेरा हाथ
लरज कर रह गया था।
और तुमने
फूल लगाते लगाते ही
जड़ दिया था
एक चुम्बन
मेरी ग्रीवा पर ।
आज भी गर्दन पर
तुम्हारे लबों की
छुअन का एहसास है.
22 comments:
tipiyane baad main aati hoon :)
बहुत कोमल भाव!!
dil se jude pal hamesha sath rahate hai . aap kuredengee to khajana hee hath aaega . bahut hee lubhavanee rachana .
बहुत सुन्दर भाव!!!
kuch ehsaas bhoole nahi bhoolte...aur yahi ve ehsaas hote hai jinki umr lambi hone ke sath sath hamare kathor palo ko sehla jate hai...
bahut khoobsurat shabdo se ehsaso ko pirone ki kala me aap mahir hai..iske liye ek hi shabd hai mere paas. 'hatts off'.
thanks to share it.aage bhi intzar rahega
कुछ एहसास अनछुए से होते हैं, सिहरन लिए, बोलते हुए..........
ऐसा ही लगा
saadgii mein kuchh khaas hai jo abhivyakt ho rahaa hai...
kuch ahsaas aise hi hote hain.........komal siharte se.
प्रेम के मधुर एहसास से भरी ........ खुश्बू की तरह तन में समाई लाजवाब रचना ......... दिल को छूते हुवे .........
ahsas hi to jindgi de jate hai
हम्म आ गई मैं.....बहुत बहुत कोमल एहसासों वाली छुई मुई सी रचना है दी. पढ़कर बस मुस्कराहट आ जाती है चेहरे पर.ऐसा ही प्यार भरा लिखती रहो.समस्त शुभकामनाएं.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
वाह !! बेहद खूबसूरत एहसास से ओतप्रोत छुअन ☺️
वाह
प्यार प्यार और बस प्यार।
उम्दा।
गुजरे वक़्त में से...
सहसा १२ साल बाद पढ़कर अपने ब्लाग भी याद आ गये।
खूबसूरत एहसास।
संगीताजी,अब ब्लागिंग पर बनी रहिये.
भावपूर्ण और अनुराग भरी रचना!!
स्मृतियों के आँगन से चुनी हुई शानदार अभिव्यक्ति ... स्वागत आपका 💐💐
बेहद कोमल भावों को समेटे गुलाब सी महकती प्रेम के अहसास में लिपटी, नाजुक सी रचना...बहुत खूब👌👌
अंतरंग भावों की मनोरम और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय दीदी।👌👌👌🙏
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