तन्हा
>> Wednesday, December 23, 2009
मन में
ना जाने कितनी
गिरह लगी हैं
एक - एक खोलूं
तो
सदियों लग जाएँ
और होता है
अक्सर यूँ
कि -
खोलने की कोशिश में
नयी गाँठ
पड़ जाती है ,
सोचती हूँ कि
जिस दिन
खुल गयीं
सारी गांठें
तो ज़िन्दगी में
जलजला ही आ जायेगा
ना तो
कोई राह सूझेगी
और ना ही कोई
खेवनहार आएगा ।
और रह जाउंगी
मैं केवल
तन्हा तन्हा तन्हा !
24 comments:
बिल्कुल सही भाव के साथ सुंदर रचना !!
अक्सर यूँ
कि -
खोलने की कोशिश में
नयी गाँठ
पड़ जाती है ,
सोचती हूँ कि
जिस दिन
खुल गयीं
सारी गांठें
तो ज़िन्दगी में
जलजला ही आ जायेगा
बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ .... बहुत सुंदर कविता.....
तो ज़िन्दगी में
जलजला ही आ जायेगा
ना तो
कोई राह सूझेगी
और ना ही कोई
खेवनहार आएगा ।
और रह जाउंगी
मैं केवल
तन्हा तन्हा तन्हा !
बहुत ही बेहतरीन लगी आपकी लिखी यह पंक्तियाँ शुक्रिया
खोलने की कोशिश में
नयी गाँठ
पड़ जाती है ,
बिलकुल सही कहा आपने । भावनायों से जितनी जिरह करो और उलझने बढती हैं सुन्दर रचना के लिये धन्यवाद्
यही कह सकता हूं कि- कितने गमों की भीड़ है एक आदमी के साथ
उम्दा व लाजवाब रचना , बधाई ।
एक गांठ खोलने में दूसरी गांठ .......यही जीवन का सत्य , जो असमंजस में डालता है,
जाने कितने विचारों की झंझावात में छोड़ जाता है
कोई राह सूझेगी
और ना ही कोई
खेवनहार आएगा ।
और रह जाउंगी
मैं केवल
तन्हा तन्हा तन्हा !
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
hamesha ki tarah ..
exceelent
aapki rachnaon ki gahraai sagar si hoti hai..
सादर वन्दे
सोच की गहराई गांठों पर आकर रुक जाती है, कि क्या यह आखिरी है कि अभी शुरुआत हुयी है गांठो की
रत्नेश त्रिपाठी
waah..........kya baat kah di.........bahut sundar bhav.
शायद यही उधेड़बुन हम सबके जीवन का सार है । गाँठें खुल जायें तो परेशानी और ना खुलें तो और भी गहरी दुविधा! सुन्दर भावों के साथ बहुत खूबसूरत रचना । बधाई !
Bahut khoob !ati sunder !
खोलने की कोशिश में
नयी गाँठ
पड़ जाती है ,
जीवन की गाँठे ऐसी ही होती हैं
सत्य की अभिव्यक्ति है ये रचना .. जीवन अनंत गाँठों का सिलसिला है ........ बहुत अच्छा लिखा .........
kuch gaanthe man ke bheetar hi daba kar band kar di jaye to behtar hai...kyuki kayi baar ya to halaat bigadne ka khatra ya fir kabhi apni baat ki ahmiyat kho dene ka vichar hame rok leta hai un gaantho ko kholne se aur ant me hamari jholi me aati hai to sirf tanhayi, tanhayi aur tanhayi.
ek aisi hi sthiti bayaan karti aapki ye rachna dil ko chhu gayi.
गिरह गाँठ खोलते कब जिदगी बिखर जाती है ...यही जीवन है ...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....!!
Nice.....Best
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 02 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
कोई राह सूझेगी
और ना ही कोई
खेवनहार आएगा ।
और रह जाउंगी
मैं केवल
तन्हा तन्हा तन्हा !
जब तक गांठे ना खुले वही अच्छा है।
दिल तक गहरे उतरती बेहद मार्मिक सृजन संगीता जी,यशोदा दी का आभार इस रचना को साझा करने के लिए
सादर नमन आपको
यशोदा और कामिनी आप दोनों का ही शुक्रिया।
ह्रदय तल से लिखी कविता - - साफ़ दिल सृजन - - नमन सह।
ना तो
कोई राह सूझेगी
और ना ही कोई
खेवनहार आएगा ।
और रह जाउंगी
मैं केवल तन्हा-तन्हा ///
व्यथित मन की गहन मर्म कथा 👌👌👌🙏😞
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