दस्तूर
>> Friday, December 4, 2009
आंधियों ने कर दिया है
बर्बाद गुलिस्ताँ को
और धुंध चारो ओर
छा गयी हैं
किसी को भी
हाथों - हाथ
कुछ सूझता है
धूल उड़ कर
आँखों में आ गयी है
बंद हो गयीं हैं
सभी की आँखें
कुछ भी अब
दृष्टि गोचर नहीं है
कौन किसको क्या
दिखाना चाहता है
खुद की आँखें भी तो
खुली नहीं हैं ।
हर चेहरे पर हैं
बहुत से मुखौटे
एक उतारो तो
दूसरा टंग जाता है
किसके और कितने
उतारोगे मुखौटे
हर बार नया चेहरा
सामने आ जाता है॥
रखते हैं सब जेब में
एक - एक आइना
पर खुद को आइने में
कभी कोई देखता नहीं
दुनिया का है
शायद यही दस्तूर
कि खुद को कोई
पहचानता नहीं .
14 comments:
सही लिखा आपने , खुद को कोई कभी आइने में नही देखता
सच के करीब आपकी अभिव्यक्ति।
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सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?
badiya likha hain
sac hai aaj har aadamee kitane kitane mukhaute lagaaye firta hai bahut sundar geet hai shubhakaamanaaye
मुखौटे लेकर चलते हैं सब....पहचान मुश्किल है
क्या बात है दी! कमाल की pic लगाई है ,एकदम suit करती है विषय को.और हाँ कविता भी अच्छी है :) बहुत मुश्किल है पहचानना लोगों को.
मुखोटों की भीड़ में कभी कभी इंसान अपना चेहरा भी नही पहचान पाता ..........
आपने बहुत ही प्रभावी तरीके से रक्खी है आपनी बात ...... अच्छी रचना .........
दुनिया के लोग यदि खुद को पहचान ले तो फिर शिकायत किस बात की.
बहुत प्रभावी है आपकी रचना
बेहतरीन शब्दों बड़ों के साथ बहुत बेहतरीन कविता........
गोया मुखौटे ना हुए ...प्याज के छिलके हों ....
अच्छी कविता ...!!
वाह !!
मुखोटा ही तो है की बस अगर हट जाये दुनिया से तो गुलशन ना बन जाये !!
इन्सां यहाँ क्यों
ख़ुद ही को भूला
वो ख़ुद भी ये जाने
सारे पहने मुखौटा
हैं जानते सब
सबका असल क्या
फ़िर क्यों न जाने
सब लगाते मुखौटा
http://www.nipunpandey.com/2008/10/blog-post_09.html
एक कड़वी सच्चाई की ओर इंगित करती रचना।
पूनम
sach ko aaina dikhatee hai ye rachana .shat pratishat aaj ka saty yahee hai .
bahut bahut badhai .
samaj me insaasn ko jitne rishte nibhane hote hai utne mukhote bhi lagane pad jate hai..lekin ati to tab hoti hai jab insaan khud ke jameer ko hi dokha deta hua mukhoto ki aadh leta hai...bahut shochniye sthiti hai ye..kash har insaan khud se imandari se paish aaye to bahut si samasyao ka samadhaan ho jaye.
bahut sateek rachna.
badhayi.
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