ज़िंदगी, मात्र कल्पना नही होती है.
>> Saturday, January 30, 2010
ज़िंदगी, मात्र कल्पना नही होती है.
मानती हूँ कि-
कल्पना की ज़िंदगी से बेहतर
कोई ज़िंदगी नही होती है,
जहाँ हर पल
अपने ख्वाबों के अनुसार
ढाल लिया जाता है
हर सवाल,
जी लेते हैं हर पल
अपने ही ढंग से
मन में नही रहता
फिर कोई मलाल
पर फिर भी
ज़िंदगी,
मात्र कल्पना नही होती है.
ना जाने कितने तूफान
मन में पले होते हैं
ना जाने कितने सैलाब
दिल में भरे होते हैं
सबको बांधना भी
कुछ आसान नही होता है
इनको रोकना भी कभी - कभी
नामुमकिन सा होता है.
पर धैर्य वो बाँध है कि
आई बाढ़ भी सिमट जाती है
ज़िंदगी की कल्पना में
फिर हक़ीकत ही नज़र आती है
गमों का सैलाब भी
थमता सा नज़र आता है
ज्वार - भाटे का समुद्र से तो
हर पल का नाता है,
धीरज ही है जो इंसान को
जीना सिखाता है
कल्पना में ही सही
पर विस्तृत आकाश में
विचरण करता है
पर जब यथार्थ के कठोर धरातल से
कल्पना टकराती है
लगता है कि जैसे
ज़िंदगी, चूर - चूर हो जाती है
क्यों कि--ज़िंदगी
ज़िंदगी,
मात्र कल्पना नही होती है.