पत्थर हो गयी हूँ ......
>> Sunday, August 29, 2010
ख़्वाबों की दुनियाँ में
आज
एक तूफ़ान आया था
खुली आँखों से
एक भयानक
ख्वाब आया था
मन था मेरा
ऐसी नाव पर सवार
जिसमें न नाविक था
और न थी पतवार
फंस गयी थी नाव
मेरी बीच मंझधार
मैं चिल्ला रही थी
बार - बार .
बचाओ मुझे बचाओ ...
पर नहीं हुआ किसी को
मेरी बात पर यकीन
और डूब गयी
नाव मेरी
ऐसी नदी में
जो थी जलहीन ...
बिना पानी के आज
मैं खो गयी हूँ
पत्थर तो नहीं थी
पर आज हो गयी हूँ ...
![[lahren.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVjqWISkxl-INJPKuqfddku6x2Vfv-JE-vtfDVoDR-Vgx5srVI4-J0CtWZJ9Fwpx2CWNMaLUxa8nJJB9ukZOX5zldB3iIGl_m0PAl83o6DlgqlyOd5NNf6mLWSCGIUBdw7CaX50h649dA/s1600/lahren.bmp)
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