हे कृष्ण - आओ तुम एक बार
>> Monday, May 31, 2010
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
लेकर कल्की अवतार
पापों का नाश कर तुमने
पापियों को मुक्ति दी
आज पापों के बोझ से
अवनि है धंस रही
फ़ैल रहा दसों दिशाओं में
अपरिमित भ्रष्टाचार
हे कृष्ण -
तुम आओ एक बार
सतीत्व की रक्षा को तुमने
था स्वयं को अर्पित किया
आज यहाँ हर चौराहे पर
स्त्रीत्व खंडित हो रहा
संवेदनाएं प्रस्तर हुयीं
हुआ असीमित व्याभिचार
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
धर्म रक्षा हेतु तुमने
श्राप गांधारी का लिया
आज धरती पर है
अधर्म का दिया जला
धर्मान्ध बने हुए सब
कर रहे एक दूजे पर प्रहार
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
ले कर कल्की अवतार
52 comments:
हे कृष्ण आ जाओ एक बार
बहुत सुन्दर सामयिक रचना है....सही कहा है--
धर्मान्ध बने हुए सब
कर रहे एक दूजे पर प्रहार
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
बहुत बढ़िया रचना!
संवेदनाएं प्रस्तर हुयीं
हुआ असीमित व्याभिचार
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
बहुत सुन्दर रचना,
हे कृष्ण ! अब आ भी जाओ, पाप का घडा भर चुका
पुण्य किसी अंधी कुटी में पडा-पड़ा मर चुका !!
सच में आज कृष्ण अवतार की ही जरुरत है . बहुत सुंदर साहित्यिक शब्दों का प्रयोग किया है आपने रचना में और सशक्त कथानक का चुनाव. बधाई.
लगता है कृष्ण अभी और परीक्षा लेना चाहते हैं अपने भक्तों की ... सुंदर लिखा है ...
बहुत सुन्दर सामयिक रचना है....
wow
bahut khub
kalyug me kalki avtar
hame bhi intjar he
shree krishn ka aahwaan ...shayad yahi samay bhi hai...kaha bhi tha unhone..
jab jab bhi dharti par paap badhega..main aaunga..
bahut sundar rachna...
आपकी पुकार सुनी जायेगी और वे अवश्य आयेंगे|
चित्र में भगवान घोड़े पर हैं| यह किसी कलाकार की कल्पना है या किसी पौराणिक कथा से सम्बद्ध है? बताने की कृपा करें|
सचमुच आज कृष्ण अवतार की फिर से सख्त ज़रुरत है ।
बढ़िया प्रस्तुति ।
आपका आह्वान गीत बहुत अच्छ है पर ये भी देखना होगा कि जो कुछ प्रथ्वी पर अच्छा हो रहा है क्या हम उसका साथ दे रहे हैं ? कहीं अपने स्वार्थ वश उसे नजर अंदाज तो नहीं कर रहे हैं | इसी विषय पर मेरी रचना मेरे ब्लॉग पर देखें | "मैं"और "वो " मेरा ब्लॉग tensionpoint.blogspot.com
Hi di..
Krishn kahin chhup kar ke baithe..
Kalyug main na len avtaar..
Ab na aate hain dharti pe..
Sun kar koi karun pukaar..
Sundar kavita..
DEEPAK..
Hi di..
Krishn kahin chhup kar ke baithe..
Kalyug main na len avtaar..
Ab na aate hain dharti pe..
Sun kar koi karun pukaar..
Sundar kavita..
DEEPAK..
Hi di..
Krishn kahin chhup kar ke baithe..
Kalyug main na len avtaar..
Ab na aate hain dharti pe..
Sun kar koi karun pukaar..
Sundar kavita..
DEEPAK..
sun kar pukaar..
he krishn...
aao tum ek baar...
kunwar ji,
waah....kin lafzon mein tarif karoon.........aaj ki jaroorat ko bahut hi sundarta se ukera hai.........badhayi.
धर्मान्ध बने हुए सब
कर रहे एक दूजे पर प्रहार
यही सब देख...मन कृष्ण को पुकार उठता है....भावपूर्ण अभिव्यक्ति
सभी पाठकों का आभार....
व्योम जी ,
कलाकरों ने माना है की कल्की अवतार का यही रूप होगा श्री कृष्ण का...गूगल चित्रों में भी कृष्ण को कल्की अवतार में यही रूप दिया है...आभार
बहुत जोशीला आह्वान!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है ... किसी अवतार की शायद बहुत ज़रूरत है ...
han mumma fir se ek avtar ki zaroorat jhai wo bhi apni poori kala ke sath ..jaise krishn the... poori taakat ke saath aana padega kalki ko ....
वाकई कृष्ण अवतार की जरुरत है अब.बहुत ही खुब्सुअर्ट शब्दों से सजाया है आपने इस कविता को
खूबसूरत*
आज तो वास्तव में श्री कृष्ण जी की जरूरत है!
बहुत ही सुन्दर और सामयिक रचना है!
बहुत सुंदर साहित्यिक शब्दों का प्रयोग किया है।
बहुत सुन्दर !!! आपकी पुकार सुनकर शायद आ जाये ..जरुरत है
कान्हा तुम्हें अब आना ही होगा.. सच्चे दिल की पुकार की तरह लगी कविता..
सतीत्व की रक्षा को तुमने
था स्वयं को अर्पित किया
आज यहाँ हर चौराहे पर
स्त्रीत्व खंडित हो रहा
समाज की विषमताओं को परत दर परत खोलती रचना
बेहतरीन
प्यारी कविता..अब तो भगवन कृष्ण जी आ भी जाओ.
_________________
'पाखी की दुनिया' में ' अंडमान में आया भूकंप'
बहुत सटीक और उचित लिखा है, कल्कि के आने का समय अब ही आ चुका है. पता नहीं हम अब और कहाँ तक गिरने की प्रतीक्षा में है. कहीं आशा कि कोई किरण नहीं दिख रही है, तुम्हारीप्रार्थना जल्दी स्वीकार हो.
बढ़िया प्रस्तुति....
ताली लागी प्रेम की खोलो अब तो कृष्ण मुरार जी
आओ आओ आओ तुम एक बार ...
मै भी आपके साथ प्रार्थना करती हूँ क्रष्ण तुम आओ एक बार
सांवरे घनश्याम तुम तो प्रेम के अवतार हो
फंस रहा हूँ झंझटो में तुम ही खेवन हार हो |
जब जब होता हास धर्मका , और पाप बढ़ जाता है
तब लेते अवतार प्रभु, जग विश्व शांति को पाता है
भज ले राम ,भज ले श्याम
और मुझे आशा है जरुर श्याम आवेगे| बहुत सुन्दर कविता |
एक सुंदर रचना...पुराणों के अनुसार कल्कि अवतार कलयुग में होगा ...और आपने उनका सही अर्थों में अआह्वाहन किया है ।
आज पापों के बोझ से
अवनि है धंस रही
फ़ैल रहा दसों दिशाओं में
अपरिमित भ्रष्टाचार
हे कृष्ण -
तुम आओ एक बार ..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! शानदार और भावपूर्ण रचना! बहुत बढ़िया लगा!
लीजिये कृष्ण जी के हमनाम हाजिर हैं..सुन्दर रचना.
"आज यहाँ हर चौराहे पर
स्त्रीत्व खंडित हो रहा
संवेदनाएं प्रस्तर हुयीं
...
हे कृष्ण - आओ तुम एक बार"
जरुर और लज्दी आओ
सतीत्व की रक्षा को तुमने
था स्वयं को अर्पित किया
आज यहाँ हर चौराहे पर
स्त्रीत्व खंडित हो रहा
संवेदनाएं प्रस्तर हुयीं
हुआ असीमित व्याभिचार
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
sach aur aham ,aa jao kanhaiya ek baar phir jagat ka uddhaar karne ,to humara janam safal ho jaaye .is sundar rachna me apni ye bhavna shamil karti hoon sangeeta ji .
प्रशंसनीय ।
धर्मान्ध बने हुए सब
कर रहे एक दूजे पर प्रहार
हे कृष्ण -
SAHI HAI EKDUM X-(....magar krishn ji aayenge to unhe hi dharm ka path padha diya jaayega..:-/:-/
...khair........:)
..thodi aur tez dhaar hoti naa Mumma...jaise jk gaandhari wali poem ki thi..to aur mazaa aata...:)
badhayi is rachna k liye
कान्हा तुम्हें अब आना ही होगा.. सच्चे दिल की पुकार की तरह लगी कविता..
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
पापों का नाश कर तुमने
पापियों को मुक्ति दी
आज पापों के बोझ से
अवनि है धंस रही
फ़ैल रहा दसों दिशाओं में
अपरिमित भ्रष्टाचार
हे कृष्ण -
तुम आओ एक बार
बार बार पढ़ने योग्य सुंदर रचना ...
साधुवाद
सटीक लगी रचना आज के संदर्भ में,
जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई आपको !
शुभकामनाओं के संग हार्दिक बधाई
ये शाश्वत पुकार वर्तमान में भी कितना प्रासंगिक है । हर हृदय कल्कि अवतार को ढूंढ रहा है जो मानवता के विनाश को रोक दे । द्रवित हो गया भाव । कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ना जाने कब आयेंगें प्रभु पापियों का नाश करने
बहुत सुन्दर भाव…कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई 🙏🌸🍀
सुंदर भावों से सजी श्रेष्ठतम रचना ...
आदरणीया मैम, बहुत ही सुंदर व सशक्त रचना। कितना भावपूर्ण आव्हान है भगवान श्री कृष्ण का! आशा है कि कान्हा जी हम सब की प्रार्थना सुनें और इस धरती के पापों और शोक का नाश कर दें, जो लोग कोरोना- काल की क्रूरता भोग रहे हैं , उनकी रक्षा करें और उन्हें शक्ति दें। पर एक बात और भी है, जो रह- रह कर मन मरीन आती है.. कि कान्हा हम से दूर हैं क्या, वो तो हमारे साथ ही हैं पर हम ही तो सारे दुर्भाव और दुर्विचार मन में लाते हैं और फिर उसी के कारण इस समाज में विकृतियाँ आतीं हैं । सद्भाव तो हमें ही मन में लाना होगा। आपकी यह रचना बहुत ही सुंदर लगी और आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा भी लग रहा है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बधाई और आपको मेरा अनेकों बार प्रणाम।
कृष्ण का आह्वान मन मथ गया दी।
जी दी आपकी रचना पढ़ते हुए-
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अवतारों की प्रतीक्षा में
स्व पर विश्वास न कम हो
तेरी कर्मठता की ज्योति
सूर्य नहीं,तारों के सम हो
सतीत्व की रक्षा के लिए
चमत्कारों की कथा रहने दो
धारण करो कृपाण,कटार
आँसुओं को व्यर्थ न बहने दो
व्याभिचारियों पर प्रहार तेरा
धधकते ज्वालामुखी सम हो
करो कृष्ण को महसूस
सद्कर्म कल्कि का अंश है
प्रेम,दया,सत्य में अमिट
हर युग में कृष्ण का वंश है
संवेदनाओं को जीवित रखना
मनुष्यता का मर्म कृष्ण सम हो।
#श्वेता
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सप्रेम प्रणाम।
सतीत्व की रक्षा को तुमने
था स्वयं को अर्पित किया
आज यहाँ हर चौराहे पर
स्त्रीत्व खंडित हो रहा
संवेदनाएं प्रस्तर हुयीं
हुआ असीमित व्याभिचार
सही कहा व्याभिचार असीमित हो चुका अब तो प्रभु आ जाओ.....इस संवेदनाहीन संसार में धर्म कहाँ बचा है प्रभु ?धर्म रक्षा हेतु आपका आना निश्चित है यदि अभी नहीं तो फिर कब...?
जग कल्याण हेतु किया गया बहुत ही भावपूर्ण एवं लाजवाब आवाहन।
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