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आख़िर किसे?

>> Sunday, February 14, 2010

दो साल से ज्यादा वक़्त हो गया इस लघु कथा को लिखे....पर जब



भी कहीं बम विस्फोट होता है तो अचानक ही ये कथा कौंध जाती


है मस्तिष्क में .....आज भी पुणे में बम विस्फोट हुआ..न जाने


कितने निर्दोष इसकी चपेट में आए होंगे....और कितने घरों में


कोहराम छाया होगा....मन द्रवित है ....आँखें नम हैं...



 
 
आखिर किसे ?
 
 
 
सुबह का समय. सब को काम पर जाने की जल्दी है. दौड़ते - भागते


लोकल ट्रेन पर चढ़ते हैं. ट्रेन ज़रा सा आगे बढ़ी कि भयानक


विस्फोट हुआ और ना जाने कितने माँस के लोथडे उड़ते हुए ज़मीन


पर आ लगे. देखने वाले कुछ समझे कुछ नही. नसीर का पूरा


परिवार एक ही फैक्टरी में काम पर जाता है. बस माँ घर पर रहती


है . इस धमाके में उसके परिवार के चार लोग मारे गये. उसके


पिता , दोनो भाई और वो खुद. आख़िर ये आतंकवादी किसे मारना


चाहते हैं...... आख़िर किसे?



18 comments:

Mithilesh dubey 2/14/2010 1:51 AM  

जवाब ढू़ढ़ पाना बहुत ही मुश्किल है ।

shikha varshney 2/14/2010 3:56 AM  

बस एक यही सवाल यदि हर कोई सोच ले तो ये सब कभी न हो...बहुत दुखद है ,,,आखिर क्यों

Udan Tashtari 2/14/2010 6:17 AM  

क्या जाने इन दरिंदों की क्या मंशा होती है..

M VERMA 2/14/2010 6:24 AM  

मासूम सा सवाल है पर जवाब कौन दे

Deepak Shukla 2/14/2010 9:57 AM  

Hi..

Aaj punah ek bam dhamaka..
Kahin pe hoti goli bari..
Vyathit hruday ko kar deti hai..
Aatank ki ye nayi bimaari..

Bam dhamake kahin bhi hon par..
Hain visfot dilon main hote..
Mere hi parivar ke marte..
Ghayal kitne log hain hote..

Aaj kiya hai jisne ye sab..
Nahi ye kya parivar hai uska.?..
Hruday todkar etne saare..
Swapn kaun saakar hai uska..?..

Manavta ki karun vyatha se..
Dil par hai ek bojh humare..
Aviral ashru bahen aankhon se..
Dhundhle mere shabd hain saare..

DEEPAK..

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) 2/14/2010 10:19 AM  

सच है...जवाब कौन दे फिर.....?

Apanatva 2/14/2010 10:46 AM  

kai sawal chod jate hai ye hadse............

दिगम्बर नासवा 2/14/2010 12:09 PM  

बहुत मुश्किल है ऐसी बहुत सी बातों का जवाब ढूँढना .... मार्मिक रचना है ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) 2/14/2010 12:40 PM  

आप सभी पाठकों का आभार....आप सभी इस प्रश्न में शामिल हुए

दीपक जी ,

आपकी रचना मन को छू गयी...आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) 2/14/2010 1:03 PM  

तरु यहाँ अपनी प्रतिक्रिया पोस्ट नहीं कर प् रही है....उसकी बात मैं यहाँ पोस्ट कर रही हूँ....


''m speechless Mumma Aunty..fir kahungi uch ...''

Razi Shahab 2/14/2010 1:23 PM  

bahut mushkil hai jawab dena

अनामिका की सदायें ...... 2/14/2010 2:12 PM  

झिंझोड़ देने वाले सवाल और आज की परिस्थितियों पर सटीक रचना.

रश्मि प्रभा... 2/14/2010 3:18 PM  

kuch bhi nahi thaharta....bas kai ghar bebas, ashay ho jate hain....aatank? kaun failata hai? kiske bich? aam janta darti hai,baki to bas kanoon bagharte

संजय भास्‍कर 2/14/2010 4:19 PM  

बेहतरीन। लाजवाब।

Anil Pusadkar 2/14/2010 8:04 PM  

जिन्हे जवाब देना चाहिये उनके जवाब भी उनके सचिव लिख कर देते हैं।रटे-रटाये तोतें के जवाब से भला क्या होने वाला है?

रोहित 2/15/2010 9:31 PM  

bahut kasht hota hai...jab kabhi kamjor logo ko nishana banaya jata hai.
'aakhir kyon?'
sayad iska jwab un kayaro ke paas bhi nahi hoga,jo nirdosho par hamla karte hain.

Dev 2/16/2010 9:17 AM  

आखिर ऐसा क्यों ......?

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