टुकड़े टुकड़े ख्वाब
>> Monday, February 22, 2010
गर्भ -गृह से
आँखों की खिड़की खोल
पलकों की ओट से
मेरे ख़्वाबों ने
धीरे से बाहर झाँका
कोहरे की गहन चादर से
सब कुछ ढका हुआ था .
धीरे धीरे
हकीक़त के ताप ने
कम कर दी
गहनता कोहरे की
और
ख़्वाबों ने डर के मारे
बंद कर लीं अपनी आँखे .
क्यों कि -
उन्हें दिखाई दे गयीं थी
एक नवजात कन्या शिशु
जो कचरे के डिब्बे में
निर्वस्त्र सर्दी से ठिठुर
दम तोड़ चुकी थी
27 comments:
बाप रे दी ! कितना मार्मिक वर्णन किया है आपने अधूरे ख़्वाबों का ..एक नवजात कन्या की हत्या से.....और तस्वीरें ....निशब्द हूँ मैं.
उन्हें दिखाई दे गयीं थी
एक नवजात कन्या शिशु
जो कचरे के डिब्बे में
निर्वस्त्र सर्दी से ठिठुर
दम तोड़ चुकी थी
मैं भी निशब्द हूँ । दिल को छू गयी आपकी ये रचना
धन्यवाद्
बहुत अच्छी मार्मिक रचना |
कितना मार्मिक विषय है..
ख्वाबो ने दर के मरे
बंद कर ली अपनी आँखे...
क्या कहू...निशब्द हु...
ओह्ह बडा ही करुण दृश्य दिखा दिया,आपने...बड़ी मार्मिक रचना..रूह कंपा देने वाली
मैं भी निशब्द हूँ । दिल को छू गयी आपकी ये रचना
धन्यवाद्
ek najaat kanyaa ki vyatha... mann vichlit ho gaya Didi...
bahut achi rachna hai
बहुत अच्छी मार्मिक रचना |
'aah,kitna maarmik wa karun chitran kiya aapne maa'm!
ek chhoti si kanya ke vayatha ne to nihshabd hi kar diya!
oh, ek masoom ka darr, chatpatahat......bahut hi marmikta se likha hai
उफ़ !! क्या कह डाला आपने ..बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति !
आभार
बहुत ही मार्मिक रचना प्रस्तुत की है आपने!
शायद इसकी गूँज से समाज जाग जाये!
सादर वन्दे!
बहुत ही ह्रदयस्पर्शी रचना, इस दुनिया के लिए बच्चियां आज का सच हैं और कल कि किस्मत!
रत्नेश त्रिपाठी
मार्मिक रचना.... .
निःशब्द हूँ.......
काश कि यह रचना उन सभी तक पहुंचे जिनके ह्रदय पत्थर के हो चुके हैं...काश ,यह उन खूनी हाथों को कंपा सकें.....उनकी आत्माओं को झकझोर सकें......
मैं ईश्वर से प्राथना करती हूँ कि आपकी यह रचना असंख्य हृदयों तक पहुंचे और यह अमानुषिक कृत्य बंद हो....
इस कविता में बहुत बेहतर, बहुत गहरे स्तर पर एक बहुत ही छुपी हुई करुणा और गम्भीरता है।
कारूणिक और मार्मिक
मार्मिक रचना ! कितना कुछ सघन व्यक्त हो गया है इन पंक्तियों में ! अर्थ-संस्पर्श बहुत है इस रचना में । आभार ।
मार्मिक ... यथार्थ लिखा है इस रचना में ... काड़ुवा सच जो उद्दत से जहर की तरह घुला हुवा है हमारे समाज में ...
बहुत अच्छी मार्मिक रचना |
uff .......bahut hi marmik aur samvedansheel rachna.
कोई जवाब नहीं इस रचना का .......
achchhi rachna hai.
holi ki aapko aur aapke pariwar ko dher sari shubhkamnayen.
मार्मिक वर्णन!
आप सभी को ईद-मिलादुन-नबी और होली की ढेरों शुभ-कामनाएं!!
इस मौके पर होरी खेलूं कहकर बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ें.
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
very sensitive....
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