आखिर बुरा क्या है ?
>> Tuesday, March 2, 2010
मन के दरख्त पर
जमा ली हैं
ख्वाहिशों ने अपनी जड़ें
और जा रही हैं
फलती फूलती
अमर बेल की तरह
उत्तरोत्तर .
रसविहीन दरख्त
मौन है
बना हुआ पंगु सा
जब होगा एहसास
हकीकत का
तो हो जाएँगी
सारी बेलें
धूल धूसरित .
मन ने सोचा कि
ख्वाहिशों की ख्वाहिश
पलने दो
अंत में तो
मिटटी ही नसीब है
कुछ पल खुश होने में
आखिर बुरा क्या है ?
23 comments:
बिलकुल दी कुछ भी बुरा नहीं है..छोटी सी जिन्दगी है एक एक पल की खुशियों के मायने हैं ..बाकि तो जीवन भी एक दिन मिटटी ही पाना है...
जीवन का फलसफा समझती खुबसूरत रचना
achha likha hain
वाह...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
gahraee bhare bhav liye hai aapkee ye rachana......khushiyo ke pal sanjo ke rakhe ja sakte hai andhere me prakash ka bhan dete hai ...........
बिलकुल सही कहा छोटी सी जिन्दगी को खुशी से जी लेने मे ही जीवन की सार्थकता है। बहुत अच्छी लगी कविता
शुभकामनायें
कुछ पल खुश होने में
आखिर बुरा क्या है ?
ठीक ही है क्या पता यह खुशी स्थाई ही हो
Behad sundar abhivyakti hai....kahate hai ki Will power is the biggest power in the world !! Sapano ko sakaar karane ke liye unki khawaish hona to jaruri nahi isame kuch bura nahi .....is sundar rachana ke liye dhanywaad!
सच कहा आपने कुछ पल खुश होने में बुरा क्या है..वरना आज कल इस भाग-दौड़ और त्रासदियो से भरी जिन्दगी में सबसे मुश्किल ख़ुशी के दो पल बटोर पाना ही है....ख्वाहिशो की ख्वाहिश में ही सही..कुछ पल तो मिलेंगे ख़ुशी के..
मन ने सोचा कि
ख्वाहिशों की ख्वाहिश
पलने दो
अंत में तो
मिटटी ही नसीब है
कुछ पल खुश होने में
आखिर बुरा क्या है ?
Adaraneeya Sangeeta jee,
aapane is rachana men bahut kam shabdon men ek jeevan darshan ko paribhashit kiya hai. sundar kavita.
Vilamb se hee sahee---Holee kee hardik shubhakamnayen.
Poonam
दिनोदिन ख़्वाबों ख्यालों की दराख्तें हरी भरी हो रही हैं ,रसविहीन हो ही नहीं सकती
yahi to satat jivan ka sandesh hai....
khushio ke sang jeena hi to sarthak jeevan ka udaisya hai,
anyatha nirasha se ghir kar apne hi kushio ka gala ghotna sahi jevan ka parichayak nahi.
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maa'm,
dhanyawaad aapko,
is dil chune waali rachna ke liye,
jo hume sarthak jevan ka sandesh deti hai.
aadar sahit,
ROHIT
एकदम से सच्ची बात ! क्षण-क्षण जिन्दादिली और चाह-खुशी के साथ जीना जरूरी है इस छोटी-सी जिन्दगी के लिये ।
बेहतरीन रचना । आभार ।
सुंदर अभिव्यक्ति.....बढ़िया रचना...
कुछ पल ही नहीं ...हर पल खुश रहने में बुरा क्या है ....
बड़ी खुशियों के पीछे भागते अपने आस पास बिखरी छोटी खुशियों को जी ले तो जीवन भी बुरा क्या है ...क्षणभंगुर ही सही ...
अच्छी रचना ...!!
बढ़िया रचना!
हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
सबसे पहले तो आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं....
ख्वाहिशों की ख्वाहिश
पलने दो
अंत में तो
मिटटी ही नसीब है...
इन सत्य पंक्तियों ने दिल को छू लिया...
सच है कुछ पलों के लिए जीवन में खुशी मिल रही है तो कुछ भी बुरा नही .......
चाँद लम्हों की खुशियों में कई बार जीवन भर की खुशियाँ मिल जाती हैं ...
बहुत लाजवाब रचना है ...
well written and edited too
"मन ने सोचा कि
ख्वाहिशों की ख्वाहिश
पलने दो
अंत में तो
मिटटी ही नसीब है
कुछ पल खुश होने में
आखिर बुरा क्या है ?"
बहुत सुन्दर कविता ।
kitni gahan aur sarthak baat kahi hai........amazing...........dil ko chhoo gayi rachna.
ख्वाहिशों की ख्वाहिश
पलने दो
अंत में तो
मिटटी ही नसीब है
कुछ पल खुश होने में
आखिर बुरा क्या है ?
बिलकुल सही कहा...कुछ पल को ही सही... ख़ुशी के पल जी लेने में हर्ज़ ही क्या है....
सुन्दर रचना हमेशा की तरह
वाह बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना प्रस्तुत किया है आपने! दिल को छू गयी आपकी ये शानदार रचना! बधाई!
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