नीयति
>> Sunday, August 31, 2008
दरिया हूँ मैं
मुझे बहने दो
बहना ही स्वाभाव है मेरा
उसे वैसे ही रहने दो
तुम चाहोगे कि
मुझे बाँध लोगे
और अथक प्रयास
से मुझे रोक लोगे
तो ये तुम्हारा
एक निरर्थक प्रयास है
कब बंध पाई है
कोई नदी ?
तुम कहोगे कि -
मैं मानव पुत्र
"नदी को बाँध चुका हूँ
नहरें निकाल चुका हूँ
बिजली बना चुका हूँ "
पर मेरा प्रश्न है -
फिर उसके बाद ?
फिर से बही है नदी
अपने उसी रूप में
अपने गंतव्य की ओर
जाते हुए
इठलाते , बल खाते हुए
तुम रोक नही पाए उसे ।
इसीलिए कहती हूँ कि
जैसा जिसका स्वाभाव है
उसे वैसा ही रहने दो
मुझे भी बस
दरिया जैसा ही बहने दो ।
मुझे बहने दो
बहना ही स्वाभाव है मेरा
उसे वैसे ही रहने दो
तुम चाहोगे कि
मुझे बाँध लोगे
और अथक प्रयास
से मुझे रोक लोगे
तो ये तुम्हारा
एक निरर्थक प्रयास है
कब बंध पाई है
कोई नदी ?
तुम कहोगे कि -
मैं मानव पुत्र
"नदी को बाँध चुका हूँ
नहरें निकाल चुका हूँ
बिजली बना चुका हूँ "
पर मेरा प्रश्न है -
फिर उसके बाद ?
फिर से बही है नदी
अपने उसी रूप में
अपने गंतव्य की ओर
जाते हुए
इठलाते , बल खाते हुए
तुम रोक नही पाए उसे ।
इसीलिए कहती हूँ कि
जैसा जिसका स्वाभाव है
उसे वैसा ही रहने दो
मुझे भी बस
दरिया जैसा ही बहने दो ।
5 comments:
Wah Sangeeta ji
aap ne Dariyaa ka jo sawbhav yahaa pesh kiya bahut achha lagaa
bahur khub
Keep it up
God Beless You
Parvinder
तुम चाहोगे कि
मुझे बाँध लोगे
और अथक प्रयास से
मुझे रोक लोगे
तो ये तुम्हारा
एक निरर्थक प्रयास है
कब बाँध पाई है
कोई नदी ?
...........वाह संगीता जी, इसे कहते हैं शब्दों की बाँध , शब्दों की
असीम शक्ति......अति सुन्दर रचना.
ye panktiyan lageen mujhe
ANil
behad khoobsurti se aapne ek satya ko tarkikta se darshaya hai ..
nihayt hi purmaani khayal or nape tule lafz yakinan daad ki haqdaar .
are huzur wahh geet boliye
Sangeeta ji...ek bahut acchhi soch k saath ek acchhi rachna..aapki ye rachna padh k maano mujhe is se do sandesh mil raha ho..ki chalna hai..har haal me dariya ki tareh niranter chalte jana hai..aur ye gana yaad aata hai..
nadiya chale..chale re dhara..
tujhko chala hoga..tujhko chalna hoga..
aur dusra sandesh..jo jaise chal raha hai..jaisa hai..use badalne ki koshish mat karo..koshish karoge..badloge to b vo apna swabhaav nahi badlega..(mera point sirf is dariya jaise nature walo k liye hai..varna badalaav to jaruri hai aur unnatti ka pehla kadam hai..)
aur yaha per b agar insaan ne dariya k raaste badle tabhi to vo nehree nikaal paya, bijli bana paya...!!
bt...
जैसा जिसका स्वाभाव है
उसे वैसा ही रहने दो
मुझे भी बस
दरिया जैसा ही बहने दो ।
bahut khooooooob main is baat se bhi sehmat hu...
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