संगीता जी, कितना फर्क है ना भस्म और शमन में....? कितनी गहरी बात आप ने कितनी संक्षिप्त रुप में कह दी..बहुत सुंदर अभिव्यक्ति और हमेशा की तरह आपकी रचनाओ से कुछ सीखने को मिलता है...शुक्रिया.
कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
6 comments:
bahut hi jagrat kavita
gaharee soch walee kavita ato sunder .
संगीता जी,
कितना फर्क है ना भस्म और शमन में....? कितनी गहरी बात आप ने कितनी संक्षिप्त रुप में कह दी..बहुत सुंदर अभिव्यक्ति और हमेशा की तरह आपकी रचनाओ से कुछ सीखने को मिलता है...शुक्रिया.
ACHEE RACHNA .... AGNI AUR DHYAN DONO HI SHUDDHI LATE HAIN .... AATMSAAT KARLETE HAIN BURAAI KO ....
एक उत्कृष्ट रचना...........आप ऐसे ही लिखते रहे......धन्यवाद!
आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं
मेरी शुभकामनाएं.
sanjay
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