कन्या पूजन
>> Saturday, September 26, 2009
कन्या पूजन का पर्व आया
सबने मिल नवरात्र मनाया
नौ दिन देवी को अर्घ्य चढाया
कन्या के पग पखार
माथे तिलक लगाया
धार्मिक ग्रंथों में कन्या को
देवी माना है
क्रमशः उनको - कुमारी , त्रिमूर्ति
कल्याणी , रोहणी, कलिका ,
चंडिका , शाम्भवी , दुर्गा
और सुभद्रा जाना है
पूजा - अर्चना कर
घर की समृधि चाही है
पर कन्या के जन्म से
घर में उदासी छाई है ।
नवरात्र में जिसकी
विधि- विधान से
पूजा की जाती है
कन्या-भ्रूण पता चलते ही
उसकी हत्या
कर दी जाती है ।
कैसा है हमारा ये
दोगला व्यवहार ?
पूजते जिस नारी को
करते उसी पर अत्याचार
धार्मिक कर्म - कांडों से
नहीं होगा उसका उद्धार
खोलने होंगे तुमको
निज मन के द्वार ।
जिस दिन तुम
मन से कन्या को
देवी मानोगे
तब ही तुम
सच्ची सुख - समृद्धि पाओगे.
9 comments:
संगीता जी...नवरात्रों के समय में आपकी इस कविता का आना बहुत आनंदित कर रहा है..बहुत अच्छा और सच्चा विषय लिया है आपने...हम पुरुष को पूर्ण रूप से इसके लिए जिम्मेदार ठहराते है लेकिन कुछ हद तक इस हालत का जिम्मेदार स्त्री समाज भी कम नहीं है...नारी ही जब अपनी कोख की बच्ची के लिए हक की लड़ाई नहीं लड़ती तो और किसी पर क्या ऊँगली उठाई जाये..
बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई..
kitane sahansheel hai ham log . aur ye kaisee vidambanaa hai samaj kee ?
Badhaai ! sahee samay par sahee rachana .
कडुवी बात उठाई है इस र्स्चना के माध्यम से ........ माता वैष्णो देवी इस बुराई को दूर करे समाज से ऐसी प्रार्थना है ............ जय माता दी .......
कथन को जब अमलीजामा पहनाया जायेगा तभी कन्या पूजन सार्थक है
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अप्रैल २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सारगर्भित!
सत्य को उजागर करतीं सारगर्भित रचना।
सोच धीरे धीरे बदल रही है उम्मीद है कि एक दिन अवश्य आएगा जब वास्तव में कन्या को पूजा जाएगा।
सत्य के बिल्कुल करीब अभिव्यक्ति प्रिय दीदी।समाज के इसी दोहरे मापदंड से कन्याओं का सदा ही अहित हुआ है।कन्या पूजन की परम्परा का निर्वहन करते लोग आज भी कन्या-जन्म पर मुँह लटका कर बेटे की इच्छा प्रकट किये बिना नहीं रह सकते।इस दोहरी मानसिकता से बाहर निकल कर ही नारी जाति की अस्मिता कायम रह सकती है 🙏🙏🌹🌹⚘⚘
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